13.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 07:41 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

साल 2018 में 2019 का नजारा

Advertisement

II नवीन जोशी II वरिष्ठ पत्रकार naveengjoshi@gmail.com साल 2019 के लोकसभा चुनावों का देश को बड़ा इंतजार है. प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के सहारे भाजपा 2014 की तुलना में सत्ता बचाने में कितनी कामयाब होगी? क्या राहुल की अध्यक्षता में कांग्रेस अपने सबसे खराब चुनाव-परिणाम को सुधार सकेगी? विपक्षी दल अंतत: भाजपा-विरोधी मोर्चा बनाकर भाजपा […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

II नवीन जोशी II
वरिष्ठ पत्रकार
naveengjoshi@gmail.com
साल 2019 के लोकसभा चुनावों का देश को बड़ा इंतजार है. प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के सहारे भाजपा 2014 की तुलना में सत्ता बचाने में कितनी कामयाब होगी? क्या राहुल की अध्यक्षता में कांग्रेस अपने सबसे खराब चुनाव-परिणाम को सुधार सकेगी? विपक्षी दल अंतत: भाजपा-विरोधी मोर्चा बनाकर भाजपा को सत्ता से दूर रख पायेंगे? क्षेत्रीय दलों की राजनीति का क्या भविष्य होगा?
इनमें से कुछ का जवाब या कम-से-कम उसका बड़ा संकेत 2018 में मिलनेवाला है. इस पूरे वर्ष हम आठ राज्य विधानसभाओं के चुनाव देखेंगे. जिन राज्यों के चुनाव नतीजे अगले वर्ष के लोकसभा चुनाव का पूर्वालोकन करायेंगे, उनमें कुछ में भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर होगी, तो कुछ में क्षेत्रीय दलों की जनता पर पकड़ की परीक्षा होगी. जातीय-धार्मिक समीकरणों का खुला चुनावी खेल भी दिखायी देगा. मध्यवर्गीय जातियों से लेकर जनजातियों तक का राष्ट्रीय-प्रांतीय रुख सामने आयेगा. एक तरह से इस वर्ष होनेवाले विधानसभा चुनाव पूरे देश के चुनावी परिदृश्य का नमूना होंगे.
त्रिपुरा में मतदान हो चुका है. होली के अगले दिन उसके नतीजे आयेंगे. मेघालय, नगालैंड और कर्नाटक के चुनाव जल्दी ही होने हैं. फिर वर्ष के उत्तरार्ध में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के चुनाव होंगे.
त्रिपुरा की साठ में से बीस सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं और वे लंबे समय से वामपंथियों, विशेषकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) के साथ हैं. इस बार भाजपा ने उन्हें अपने पाले में लाने के लिए बहुत परिश्रम किया है. आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ता करीब एक साल से आदिवासियों के बीच रहे और उन्हें राज्य में बदलाव के लिए भाजपा के पक्ष में करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. क्या इस बार भाजपा इस वाम-गढ़ (पिछले चुनाव में 60 में 49 सीटें वाम मोर्चे ने जीती थीं) को भेद पायेगी? ऐसा हुआ तो बंगाल में भी भाजपा की उम्मीदें परवान चढ़ेंगी, जहां फिलहाल ममता बनर्जी की पकड़ काफी मजबूत दिखती है.
मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को मतदान होना है. मेघालय उन कुछ राज्यों में है, जहां अभी कांग्रेस सत्ता में है. 2013 के चुनाव में उसे 60 में 29 सीटें मिली थीं. राज्य की करीब 75 प्रतिशत जनता ईसाई है. इसलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों में चर्च का समर्थन पाने की होड़ लगी हैं. दक्षिण भारत से कई कांग्रेसी ईसाई नेता राज्य में डेरा डाले हैं, तो भाजपा ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री एल्फोंस को कमान सौंपी है. भाजपा की जमीनी फौज कोशिश में है कि पूर्वोत्तर के इस राज्य में भी केसरिया फहराया जाये.
नगालैंड की निरंतर उठापटक वाली राजनीति में क्षेत्रीय दलों के सहारे भाजपा अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी है.अभी नगालैंड पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा साझीदार है, लेकिन इस बार उसने नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी से गठबंधन किया है. नगा पार्टियां भाजपा की तरफ इस उम्मीद में हैं कि 2015 में मोदी सरकार ने जिस नगा समझौते का एलान किया था, वह 2019 के आम चुनाव से पहले फलीभूत हो जायेगा. इस समझौते का श्रेय लेने के लिए क्षेत्रीय दल भाजपा से रिश्ता बनाये रखना चाहते हैं. इस कारण कांग्रेस हाशिये पर लगती है. पिछली बार भी उसके सिर्फ आठ विधायक थे. जनजाति बहुल मिजोरम में दिसंबर तक चुनाव होंगे, जहां भाजपा अब तक मजबूत कांग्रेस को अपदस्थ करने की रणनीति बना रही है.
सबसे रोचक चुनाव कर्नाटक में होनेवाला है. कांग्रेस अपनी सरकार बचाने के लिए पूरा जोर लगा रही है, तो भाजपा उससे सत्ता छीनने के लिए. नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी बराबर कर्नाटक का दौरा कर रहे हैं. राज्य की प्रभावशाली वोक्कालिगा और लिंगायत जातियों का समर्थन पाने की तिकड़में जारी हैं. जाति की राजनीति को धर्म की चाशनी में लपेटा जा रहा है.
राहुल गांधी का मंदिर जाना गुजरात की तरह यहां भी मुद्दा है. भाजपाई प्रचार कर रहे हैं कि राहुल मुर्गा खाकर मंदिर जाते हैं. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया गड़रिया जाति के हैं. यह नरेंद्र मोदी की ‘पिछड़ी जाति’ की काट के रूप में पेश किया जा रहा है. कांग्रेस कर्नाटक की सत्ता बचा पायी, तो 2019 के लिए उसे बड़ी ताकत मिल जायेगी. हार हुई तो उसकी मुश्किलें बढ़ जायेंगी.
भाजपा शासित राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता बचाना भाजपा के लिए कठिन चुनौती है, तो कांग्रेस के लिए 2019 की उम्मीद भी इन्हीं राज्यों से निकलनी है. छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह का तीसरा कार्यकाल है. सत्ता विरोधी रुझान जाहिर है कि वहां मौजूद हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस (39) ने पिछली बार भी भाजपा (50) को अच्छी टक्कर दी थी. मध्य प्रदेश में जरूर कांग्रेस (57) और भाजपा (167) के बीच बहुत बड़ी दूरी रही थी.
राजस्थान और मध्य प्रदेश की सरकारों को किसानों के सत्ता-विरोधी उग्र प्रदर्शनों का सामना तो करना ही पड़ा है, गोरक्षा के नाम पर सांप्रदायिक हिंसा और वैमनस्यता फैलानेवाली राजनीति के लिए भी वे निशाने पर हैं. दलितों पर अत्याचार की घटनाओं के कारण भी ये सरकारें नाराजगी झेल रही हैं. मगर कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश का मोर्चा आसान नहीं लगता.
लगातार 15 साल से सत्ता से बाहर रहने के कारण कांग्रेस संगठन बिखर गया है. कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया के होने के बावजूद पार्टी का ढांचा बहुत कमजोर है. कम समय में मजबूत संगठन खड़ा करना राहुल गांधी की परीक्षा होगी. वहीं छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस के पास कोई बड़ा और सुपरिचित चेहरा भी नहीं है.
साल 2013 के चुनाव में राजस्थान में भाजपा (163) के मुकाबले कांग्रेस (21) बहुत पीछे रह गयी थी, लेकिन आज वसुंधरा राजे की सरकार सबसे कमजोर पायदान पर है. हाल में हुए तीन लोकसभा व विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस ने बड़े अंतर से जीते. युवा सचिन पायलट और बुजुर्ग अशोक गहलौत की टीम राजे के लिए कठिन चुनौती है. कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी का सबसे अच्छा मौका राजस्थान में ही है.
राहुल इस मौके का कैसे और कितना लाभ उठायेंगे, 2019 का उनका सेनापतित्व इस पर काफी हद तक निर्भर करेगा. प्रधानमंत्री मोदी की परीक्षा इस मायने में होगी कि वे वसुंधरा की नैया पार लगाने में कितना कामयाब होंगे?इस तरह साल 2018 के जाते-जाते हमें 2019 के संग्राम का नजारा दिखा चुका होगा.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें