18.8 C
Ranchi
Sunday, February 9, 2025 | 10:17 am
18.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

पैराडाइज खुलासे की जांच हो

Advertisement

शंकर अय्यर आर्थिक पत्रकार पनामा पेपर्स के बाद अब पैराडाइज पेपर्स ने खुलासा किया है कि टैक्स चोरी करके विदेशों में कालाधन छुपाये गये हैं. इस खुलासे में भी भारत के नेताओं, उद्यमियों और सिनेमा स्टारों आदि बड़े लोगों के नाम शामिल हैं. पनामा पेपर्स की तरह ही पैराडाइज पेपर्स में भी ढेर सारी फर्जी […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

शंकर अय्यर

- Advertisement -

आर्थिक पत्रकार

पनामा पेपर्स के बाद अब पैराडाइज पेपर्स ने खुलासा किया है कि टैक्स चोरी करके विदेशों में कालाधन छुपाये गये हैं. इस खुलासे में भी भारत के नेताओं, उद्यमियों और सिनेमा स्टारों आदि बड़े लोगों के नाम शामिल हैं. पनामा पेपर्स की तरह ही पैराडाइज पेपर्स में भी ढेर सारी फर्जी कंपनियों और फर्मों के बारे में खुलासा हुआ है, जो बड़े-बड़े लोगों के पैसों को विदेशी बैंकों में भेजने में मदद करते हैं. इन कंपनियों या फर्मों की शरण में दो तरह के लोग जाते हैं.

एक तो वे, जो टैक्स की चोरी करते हैं और उन पैसों को इन फर्जी कंपनियों के जरिये विदेशी कंपनियों में या बैंकों में जमा करवा देते हैं. दूसरे वे लोग होते हैं, जो बनाये गये नाजायज पैसों को सेल कंपनियों के जरिये छुपाकर वापस लाते हैं. इन सेल कंपनियों को चलानेवाले वहीं के स्थानीय लोग होते हैं, मसलन वकील, सीए आदि. इस पूरी प्रक्रिया में कालेधन का एक बड़ा भ्रष्टाचार स्पष्ट है.

भ्रष्टाचार दो तरह का होता है. पहला आपराधिक भ्रष्टाचार (क्रिमिनल करप्शन) और दूसरा नागरिक भ्रष्टाचार (सिविल करप्शन). अफसोस की बात यह है क िजन लोगों को टैक्स में छूट मिली होती है, वे भी ऐसे कंपनियों के जरिये अपने पैसों को छुपाते हैं. भारत के लिए तो यह खुलास बहुत मायने रखता है, क्योंकि यहां बहुत से लोग स्विस बैंक में पैसे रखते हैं.

इस ऐतबार से चाहे पनामा पेपर्स हो या फिर पैराडाइज पेपर्स, ये दोनों एक ही तरह के खुलासे हैं. भारत का मौजूदा सक्ता पक्ष जिस तरह से भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करता है और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा की मांग करता है, उसके मद्देनजर सत्ता पक्ष को चाहिए कि वह इसकी गहराई और ईमानदारी से जांच कराये.

ईमानदारी से इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि पनापा पेपर्स के खुलासों की जांच के बारे में क्या हुआ, इसका कुछ पता नहीं है. अगर सरकार इस बात की मंशा रखती है कि देश में भ्रष्टाचार पैदा ही न होने पाये, तो सरकार को चाहिए कि ऐसे मामले आने के बाद वह तुरंत ही कार्रवाई, और साथ नाजायन पैसों का छुपे तरीके से आवागमन को रोकने का सिस्टम विकसित कर भ्रष्टाचार को न बढ़ने दे.

पनामा पेपर्स मामले में यह कहा गया था कि इसमें जिन लोगों के नाम आये हैं, उसकी पूरी जांच-पड़ताल होगी. लेकिन, वह जांच कहां तक पहुंची, किन-किन लोगों पर आरोप साबित हुआ, इसका अभी कुछ अता-पता नहीं है.

इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि जांच किस तरह से हो और निष्पक्ष जांच कराने की प्रभावी प्रक्रिया क्या है, सरकार इसको ईमानदारी से करे और दोषी तथा निर्दोष दोनों के नाम सामने लाये. जांच होगी, जांच करायी जायेगी, हम निष्पक्ष जांच करायेंगे, आदि-आदि वाक्य बोलकर सरकार यह समझती है कि उसने अपना कर्तव्य निभा दिया.

लेकिन, उस जांच का परिणाम क्या हुआ, इसके बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाता है. पैराडाइज पेपर्स की जांच से पहले तो सरकार को इस बात का स्पष्टीकरण देना चाहिए कि इसके पहले वाले खुलासे पनामा पेपर्स में कितने लोग दोषी हैं, और कितनों पर आरोप गलत हैं. साथ ही सरकार को यह भी बताना चाहिए कि इस जांच में इतना वक्त क्यों लग रहा है. यह इसलिए जल्दी और निष्पक्ष होना चाहिए, ताकि निर्दोष लोगों की बदनामी नहीं होने पाये.

पैराडाइज पेपर्स के खुलासे और कालाधन रखनेवालों को लेकर दो बातें महत्वपूर्ण हैं. एक तो यह कि ऐसे मामलों में जांच के बाद फौरन दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए कि सच्चाई क्या है, ताकि इससे न सिर्फ निर्दोष लोगों को बदनामी से बचाया जाये, बल्कि टैक्स चोरी से सरकार के राजस्व पर पड़नेवाले असर को भी कम किया जाये. दूसरी बात यह है कि देश के आम लोगों के मन में यह बात बैठी हुई कि बड़े लोग चाहे कुछ भी कर लें, सख्त कानून भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता, या जिनके पास पैसा होता है, उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है, वगैरह.

अगर फौरन जांच के बाद सच्चाई बाहर आ जाये और दोषियों को सजा मिल जाये, तो इससे आम जन के मन में सरकारों और जांच एजेंसियों के प्रति विश्वास बढ़ेगा. इससे एक बड़ा संदेश जायेगा कि चाहे कोई कितना भी बड़ा हो, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है. हम जैसे लोकतंत्र में यह स्थिति सरकार पर आम लोगों का भरोसा बनाये रखने के साथ ही भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए यह बहुत ही जरूरी है.

कालाधन के दो पहलू हैं. एक पहलू यह है कि जो कालाधन बन गया है, उसको कैसे छिपाकर रखा जाये. इसके लिए कई हथकंडे इस्तेमाल किये जाते हैं, रियल स्टेट में लगाये जाते हैं या फिर शेल कंपनियों के जरिये बाहर भेजे जाते हैं.

यह सिर्फ भारत की बात नहीं है, बल्कि दुनिया के हर देश में ऐसा होता है. दूसरा पहलू है, सरकार को यह मालूम है कि किस तरह से परमिशन राज के चलते उद्योगपतियों और नौकरशाहों की सांठगांठ से कालेधन का निर्माण होता है. इन दोनों तरीकों पर सरकार जब तक रोक नहीं लगायेगी, तब तक कालेधन का पर अंकुश मुश्किल है.

सरकार के लिए यह एक अच्छा मौका है कि पैराडाइज पेपर्स की जांच कराकर भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही जंग को जीतने में एक पड़ाव पार करे. कालेधन के खिलाफ सख्त कदम नोटबंदी को एक साल होने से ठीक पहले पैराडाइज पेपर्स का खुलासे का संकेत क्या है, यह आनेवाला वक्त बतायेगा.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें