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राजनीतिक दंगल के ‘बालि’ हैं अमित शाह!

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-प्रेम कुमार- वर्तमान समय में भारतीय राजनीति का सुपरमैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं तो सुपर पावर सेंटर अमित शाह. अमितशाह रणनीति बनाते हैं, उसे अंजाम देते हैं और उन कांटों को निकाल फेंकते हैं जो नरेंद्र मोदी व बीजेपी की राह में आते हैं. अमित शाह किंगमेकर भी हैं और पार्टी व सरकार के भीतर […]

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-प्रेम कुमार-

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वर्तमान समय में भारतीय राजनीति का सुपरमैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं तो सुपर पावर सेंटर अमित शाह. अमितशाह रणनीति बनाते हैं, उसे अंजाम देते हैं और उन कांटों को निकाल फेंकते हैं जो नरेंद्र मोदी व बीजेपी की राह में आते हैं. अमित शाह किंगमेकर भी हैं और पार्टी व सरकार के भीतर व बाहर विरोधियों के लिए स्पीड ब्रेकर भी हैं. आगे बढ़ने के लिए कभी वे अपनी गाड़ी की इंजन का पावर बढ़ाते हैं, ओवरवाइलिंग करते हैं और कभी मार्ग को चिकना बनाते हैं तो कभी कंटक दूर करते हैं. रास्ते में अगर कोई ओवरटेक करने की कोशिश करे, तो समझो उसका एक्सीडेंट तय है. जिम्मेदारी कभी अमित शाह पर नहीं आती. लक्ष्य हर हाल में पूरा होता है. समय से पहले या समय पर अमित शाह अपने नेता नरेंद्र मोदी और पार्टी बीजेपी के लिए गाड़ी लक्ष्य तक पहुंचा ही देते हैं.
खुद जाएंगे राज्यसभा, साथियों को भी पहुंचाने का है जिम्मा
राज्यसभा चुनाव में इस बार खुद अमित शाह गुजरात से चुनाव मैदान में हैं. उन्हें न सिर्फ अपनी जीत सुनिश्चित करनी है, बल्कि बाकी दो और सीटों को भी पार्टी की झोली में डालना है. एक पर स्मृति ईरानी हैं और दूसरी सीट पर कांग्रेस के बागी विधायक और शंकर सिंह वाघेला के भाई बलवंत सिंह राजपूत उम्मीदवार हैं. न सिर्फ अपनों को जिताना है, बल्कि कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल को हराना भी है, जो कांग्रेस के अमित शाह माने जाते रहे थे. बल्कि, ऐसा कहने से वे नाराज़ हो सकते हैं. अमित शाह तो राजनीति में बाद में पहुंचे, अहमद पटेल बहुत पहले से सियासी समीकरणों को जोड़ने-तोड़ने के महारथी रहे हैं.
शाह रावण जैसा हाल करना चाहते हैं कांग्रेस का
रामायण में महाबली बालि का जिक्र आता है जिनके बारे में कहा जाता था कि उनके सामने आते ही दुश्मन की शक्ति भी आधी हो जाया करती थी. बालि ने रावण जैसे महाबली को भी अपनी पूंछ के जरिये कांख में दबाकर विश्व भ्रमण कराया था ताकि दुनिया से रावण का भय कम हो सके. इस कथा को अमित शाह कर दिखाना चाहते हैं. गुजरात के रणभूमि में पहुंचते ही अमित शाह के खिलाफ विरोधियों की शक्ति क्षीण होने लगी है. राज्यसभा के चुनाव में जो वोटर विधायक हैं उनकी शक्ति भीतर ही भीतर शाह ने अपने में समावेश कर लेना शुरू कर दिया है. राष्ट्रपति चुनाव के दौरान 11 कांग्रेसी विधायकों ने मीरा कुमार को वोट नहीं दिया था. शाह साफ संकेत दे रहे हैं कि ये ताकत राज्यसभा चुनाव में भी उनके साथ आ मिली हैं. इसी तरह तीन विधायकों को कांग्रेस छुड़ाकर और उनमें से एक को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाकर शाह ने दुनिया को दिखला दिया है कि चुनाव में उनके लिए डरने की कोई बात नहीं है. कांग्रेस का वह वही हाल करने वाले हैं जो बालि ने रावण का किया था.
बीजेपी के आक्रामक कप्तान हैं अमित शाह
दुनिया जानती है कि यूपी अमित शाह के शौर्य का सर्टिफिकेट है. लोकसभा चुनाव में 71 सीटें और विधानसभा चुनाव में तीन चौथाई सीटों के साथ बीजेपी राज. यूपी से अखिलेश-माया-गांधी फैमिली, सबका सफाया कर चुके अमित शाह ऐसे कप्तान की तरह व्यवहार कर रहे हैं जो विरोधी टीम पर दबाव बनाने का कोई मौका ही नहीं छोड़ना चाहते. 9 विकेट गिर चुके हों लेकिन 11वें नंबर के खिलाड़ी के लिए भी आक्रामक फिल्डिंग और डिजास्टरस फास्ट बॉलर मोर्चे पर लगा देंगे. मैच आसानी से भी जीत सकते हैं, लेकिन जीत मानो अगली ही गेंद पर चाहिए. अब देखिए यूपी के सीएम और डिप्टी सीएम को विधानसभा चुनाव जीतकर दिखाना है. दोनों लोकसभा से इस्तीफा दे चुके हैं. इसके लिए विधानसभा या विधानपरिषद की सीटें खाली होनी चाहिए. परंपरागत सियासत होती, तो पार्टी के दो वफादार आगे आते, पार्टी के लिए कुर्बानी देते और अपने नेता को चुनकर आने का मौका देने के बाद खुद के लिए आशीर्वाद स्वरूप भी कुछ हासिल कर लेते. लेकिन, अमित शाह बीजेपी के अलग ही किस्म के कप्तान हैं. लखनऊ पहुंचे नहीं कि विरोधी दलों के तीन विधायक समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी में आ चुके थे.
जीत के फूलों वाली बीजेपी माला
बिहार में चुनाव हार कर भी नीतीश की महागठबंधन सरकार को एनडीए की नीतीश सरकार में बदलने का कारनामा कर चुके अमित शाह इससे पहले गोवा में कांग्रेस की सुस्ती का फायदा उठा चुके हैं. पर्रिकर को केंद्रीय मंत्री से मुख्यमंत्री बना चुके हैं. जम्मू-कश्मीर की बेमेल सरकार हो या मणिपुर और उत्तराखंड की सियासत- बीजेपी को मुस्कुराने का मौका अमित शाह ने मयस्सर कराया है. हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड, असम जैसे राज्यों के साथ-साथ चंडीगढ़ निकाय चुनाव और बीएमसी चुनाव में भी कमल खिले हैं. यहां तक कि उड़ीसा में भी बीजेपी ने स्थानीय निकाय चुनाव में शानदार सफलता हासिल की है. बीजेपी के लिए अमित शाह की सफलता का जादू अब जुमले बनकर सामने आने लगे हैं. कहा जाने लगा है कि चीन अमित शाह के भय से यहां हमला नहीं कर रहा है.
(21 साल से प्रिंट व टीवी पत्रकारिता में सक्रिय, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन prempu.kumar@gmail.com )

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