दो मुल्क और कश्मीर
दो पड़ोसी मुल्क लगातार बेवाजिब व आधारहीन उद्देश्यों की ओर अग्रसर हैं. ऐसा नहीं है कि चिंगारी सिर्फ एक तरफ से सुलगाई जा रही है. दरअसल यह पूरा मसला दो भिन्न विचारधाराओं के उन्माद का है, जो रह-रहकर दोनों मुल्कों को हलकान करता रहा है. दोनों देशों को पृथक करने वाली रेखा अकसर गोलियों के […]
दो पड़ोसी मुल्क लगातार बेवाजिब व आधारहीन उद्देश्यों की ओर अग्रसर हैं. ऐसा नहीं है कि चिंगारी सिर्फ एक तरफ से सुलगाई जा रही है. दरअसल यह पूरा मसला दो भिन्न विचारधाराओं के उन्माद का है, जो रह-रहकर दोनों मुल्कों को हलकान करता रहा है. दोनों देशों को पृथक करने वाली रेखा अकसर गोलियों के कर्कश ध्वनि से गूंजती रहती है. हर दूसरे-तीसरे हफ्ते हृदय विदारक हमले सेना व आम अवाम को हताहत करते हैं.
संपूर्ण कश्मीर अशांति, भय व भटकाव के लंबे दौर से गुजर रही है. शिक्षा, व्यापार व आम-जनजीवन चरमरायी पड़ी है. फिलहाल कश्मीर मुद्दे पर दोनों मुल्क का रवैया उसे और जटिल बना रही है. इतना तय है कि अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो हमें एक भारी विनाशलीला से जल्द जूझना पड़ सकता है.
आदित्य शर्मा, दुमका