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कौन था कासिम सुलेमानी? जिसकी मौत का बदला लेने के लिए हुआ इजरायली दूतावास के बाहर धमाका

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Qasem Soleimani, Iran, Israel Embassy Blast : नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित इजरायली दूतावास के पास विस्फोट स्थल से मिले लिफाफे से पता चलता है कि ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए विस्फोट किया गया है.

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नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित इजरायली दूतावास के पास विस्फोट स्थल से मिले लिफाफे से पता चलता है कि ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए विस्फोट किया गया है.

घटनास्थल से मिले पत्र को इजरायल के राजदूत को संबोधित करते हुए लिखा गया है. इसमें ईरान की कुद्स फोर्स के कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी का नाम लिखा है.

मालूम हो कि अमेरिका ने पिछले साल तीन जनवरी को एक ड्रोन हमले में ईरान के सबसे ताकतवर कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को बगदाद में मार दिया था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्र में कासिम सुलेमानी के अलावा एक और नाम है, जिसे ईरान में शहीद का दर्जा प्राप्त है. पत्र में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि यह एक ‘ट्रेलर’ था.

कौन था कासिम सुलेमानी?

कासिम सुलेमानी का जन्म 11 मार्च 1957 को हुआ था. वह शुरू में करमन शहर में कंस्ट्रक्शन का काम करते थे. बाद में करमन वाटर ऑर्गनाइजेशन में ठेकेदार बन गये. बाद में 22 साल की उम्र में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) में शामिल हो गये. आईआरजीसी में शामिल होने के बाद ईरान की ताकत में बढ़ोतरी का काम शुरू किया. खुफिया एजेंसियों के साथ सुलेमानी ईरान की ताकत बढ़ाने लगा.

कासिम सुलेमानी जानता था कि ईरान की जनता अमेरिका को पसंद नहीं करती. इसका फायदा उठाते हुए वह अमेरिका के खिलाफ नीतियां बनाने लगा. इसके बाद इस्लामिक स्टेट के आतंक से बगदाद को बचाने के लिए सुलेमानी के नेतृत्व में पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स का गठन किया गया. ईरान और इराक के बीच 1980 की लड़ाई में भी सुलेमानी की अहम भूमिका थी. सुलेमानी ने मिडिल ईस्‍ट में ईरान की ताकत बढ़ाने लगा.

धीरे-धीरे वह अमेरिका का सिरदर्द बन गया. सुलेमानी की नीतियों के कारण ही उसे कई बार मारने की कोशिश की गयी. इसके बावजूद करीब बीस वर्षों तक वह हर बार बच निकलता था. पिछले साल अमेरिका ने बगदाद में एक ड्रोन हमले में कासिम सुलेमानी समेत दो लोगों को मार गिराया था.

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