‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नई दिल्ली: वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकती है. इससे पहले सोमवार को भूषण ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि इनमें उन्होंने अपने उन विचारों को व्यक्त किया है, जिन पर वह हमेशा विश्वास करते हैं. बता दें कि प्रशांत भूषण को माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया गया था।
इससे पहले सोमवार को वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दो ट्वीट के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया था और कहा कि वह उनका विचार था और वह उस पर कायम हैं. प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अपने विचारों को व्यक्त करने पर सशर्त अथवा बिना किसी शर्त माफी मांगना ठीक नहीं होगा. निष्ठाहीन माफी मांगना मेरे अन्तःकरण की और एक संस्था की अवमानना के समान होगा. प्रशांत भूषण ने कहा कि मेरा ऐसा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकारों की रक्षा का अंतिम गढ़ है.
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भूषण ने कहा कि इसलिए, मैंने अपने विचार में किसी प्रधान न्यायधीश या सुप्रीम कोर्ट को बदनाम करने के लिए नहीं रखे बल्कि अच्छी भावना से व्यक्त किये. मैने अपने विचार रचनात्मक आलोचना पेश करने के लिए रखे ताकि संविधान के अभिभावक और जनता के अधिकारों के रक्षक के रूप में अपनी दीर्घकालीन भूमिका से इसे किसी भटकाव से रोका जा सके. भूषण ने आगे कहा कि क्षमा याचना सिर्फ औपचारिकता ही नहीं हो सकती है और कि यह पूरी गंभीरता से की जानी चाहिए.
ज्ञात हो कि अवमानना मामले में दोषी पाये जाने के बाद वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने बिना शर्त माफी मांगने के लिए तीन दिन का समय दिया था, जिसकी अवधि सोमवार को पूरी हो गयी. सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण ने बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया है और सुप्रीम कोर्ट को मौलिक अधिकारों का रक्षक बताते हुए कहा कि मैंने जो ट्वीट किया था वह मेरे विचार हैं. मैं उन विचारों पर अभी भी कायम हूं.
Posted By: Pawan Singh