अदाणी हिंडनबर्ग विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर आ रही है. कोर्ट ने शेयर बाजार के लिए नियामक उपायों को मजबूत बनाने की खातिर विशेषज्ञों की समिति पर केंद्र के सुझाव को सीलबंद लिफाफे में स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. अदाणी मामले में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि हम सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझावों को स्वीकार नहीं करेंगे, हम पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहते हैं.

सुप्रीम कोर्ट अदाणी समूह के शेयरों की कीमतों में हाल में गिरावट की अदालत की निगरानी में जांच जैसी राहत के अनुरोध वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए आगे बढ़ा. कोर्ट ने स्टॉक एक्सचेंज के लिए नियामक उपायों को मजबूत बनाने की खातिर विशेषज्ञों की समिति की गठित करने पर अपना आदेश सुरक्षित रखा.

कोर्ट ने कहा कि मौजूदा न्यायाधीश मामले की सुनवाई कर सकते हैं. वे समिति का हिस्सा नहीं होंगे.

पीठ ने क्या कहा

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि वह निवेशकों के हितों में पूर्ण पारदर्शिता बनाये रखना चाहती है तथा वह सीलबंद लिफाफे में केंद्र सरकार के सुझाव को स्वीकार नहीं करेगी. पीठ ने कहा कि हम सीलबंद लिफाफे में आपके सुझावों को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हम पारदर्शिता बनाए रखना चाहते हैं.

विशेषज्ञों की एक समिति बनाने पर विचार

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को कहा था कि अदाणी समूह के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट की पृष्ठभूमि में भारतीय निवेशकों के हितों को बाजार की अस्थिरता को देखते हुए संरक्षित करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र से नियामक तंत्र को मजबूत बनाने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति बनाने पर विचार करने को कहा था.

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी समूह के खिलाफ कई आरोप लगाये

वकील एम एल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने अब तक सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर चार जनहित याचिकाएं दायर की हैं. हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अदाणी समूह के खिलाफ कई आरोप लगा जाने के बाद, समूह के शेयरों की कीमतों में काफी गिरावट आयी है. हालांकि, समूह ने उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज किया है.

भाषा इनपुट के साथ