Wavell Ramkalavan, President of Seychelles, Diwali 2020, Dussehra: गोपालगंज (गोविंद कुमार) : भारतीय मूल के वैवेल रामकलावन सेशेल्स के राष्ट्रपति चुने गये हैं. वर्ष 2018 में अपने गांव पहुंचे वैवेल रामकलावन परिवार के सदस्यों को उनकी भारत यात्रा का बेसब्री से इंतजार है. दशहरा मना रहे बिहार के उनके पैतृक गांव में जैसे ही उनके राष्ट्रपति बनने की खबर पहुंची, पूरे गांव में दशहरा और दिवाली एक साथ मनी. बिहार में उनके परिजनों को अब वैवेल के अपने गांव आने का बेसब्री से इंतजार है.

वैवेल के पूर्वज बिहार के गोपालगंज के बरौली प्रखंड के परसौनी गांव के नोनिया टोली के रहने वाले हैं. आज भी उनके कुछ रिश्तेदार इस गांव में हैं. मंगलवार को वैवेल के राष्ट्रपति चुने जाने की खबर मिलते ही परसौनी गांव में दशहरा और दिवाली की खुशियां छा गयी. सेशेल्स के राष्ट्रपति के रिश्तेदारों ने एक-दूसरे को बधाई देते हुए पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटी.

राष्ट्रपति के चचेरे भाई 82 वर्षीय रघुनाथ महतो बताते हैं कि गंडक नदी के किनारे बसे परसौनी गांव की स्थिति बेहद खराब थी. वैवेल रामकलावन के पिता हरिचरण महतो अपने भाई जयराम महतो के साथ नमक का कारोबार करने के लिए 130 साल पहले कोलकाता गये थे. कोलकाता में दोनों भाईयों ने गांव वालों के साथ छह साल तक कारोबार किया. बाद में वे बिछड़ गये. तीन साल तक जब भाई नहीं मिला, तो जयराम महतो परसौनी लौट गये.

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इस बीच पता चला कि हरिचरण महतो जहाज से मॉरीशस चले गये हैं. वहीं पर वैवेल का जन्म हुआ. मॉरिशस में ही उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. राष्ट्रपति के रिश्तेदार रघुनाथ महतो बताते हैं कि अपने चाचा हरिचरण के बारे में बहुत कुछ अब याद नहीं है. इतना ही याद है कि मॉरीशस जाने के बाद भी वे किसी न किसी माध्यम से अपने भाई जयराम महतो से संपर्क बनाये रखते थे.

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बाद में मोबाइल का जमाना आया, तो इनके शिक्षक पुत्र त्रिलोकी महतो, हरिचरण महतो के पुत्र वैवेल रामकलावन से सोशल मीडिया पर संपर्क स्थापित हुआ और दोनों लगातार एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं. इसी बीच, 10 जनवरी, 2018 को वैवेल रामकलावन अपने पूर्वजों की मिट्टी को नमन करने परसौनी गांव आये थे. वैवेल के राष्ट्रपति चुने जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं.

130 साल पहले मॉरिशस पहुंचा परिवार

जनवरी, 2018 में अपने पुरखों की धरती गोपालगंज पहुंचे रामकलावन ने बिहार और अपने पूर्वजों की धरती को अपना बताते हुए कहा था कि आज मैं जो भी हूं, इसी उर्वरा धरती की देन है. मैं नहीं जानता कि मेरे पूर्वजों के परिवार के लोग कौन हैं, लेकिन इस धरती पर पहुंचते ही ऐसा आभास हो रहा है कि हर घर मेरा अपना ही है.

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रामकलावन के परदादा 18वीं सदी में मॉरीशस गये और वहीं खेती करने लगे. बाद में वहीं बस गये. उसके बाद उनका पोता वैवेल रामकलवान राजनीति में सक्रिय हो गये. विपक्ष के नेता रहे वैवेल रामकलावन सेशेल्स में अब राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं. इसकी खुशी पूरे परसौनी में तो है ही, खासकर उन परिवारों में है, जिनके पूर्वज मॉरीशस चले गये.

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Posted By : Mithilesh Jha