Ram Nath Kovind Farewell Speech: रामनाथ कोविंद ने रविवार को राष्ट्रपति के तौर पर राष्ट्र के नाम अपना आखिरी संबोधन दिया. राष्ट्रपति पद छोड़ने की पूर्व संध्या पर रामनाथ कोविंद ने कहा कि स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श कपोल कल्पना नहीं, बल्कि उत्कृष्ट, महान और उत्थानशील हैं. निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान समाज के सभी वर्गों से पूर्ण सहयोग, समर्थन और आशीर्वाद मिला. उन्होंने कहा कि आम भारतीय ही देश के वास्तविक निर्माता है.

जलवायु संकट इस ग्रह के भविष्य  के लिए खतरनाक

निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवा भारतीयों को अपनी विरासत से जोड़ने में काफी मदद करेगी. मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमारा देश 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए तैयार हो रहा है. उन्होंने कहा कि प्रकृति मां गहरी पीड़ा में है, जलवायु संकट इस ग्रह के भविष्य को खतरे में डाल सकता है. अपने विदाई संबोधन में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, अपनी जमीन, हवा और पानी का ख्याल रखना चाहिए. अपने दैनिक जीवन और नियमित विकल्पों में हमें प्रकृति के साथ-साथ अन्य सभी जीवों की रक्षा के लिए अधिक सावधान रहना चाहिए.


हमें अपने पूर्वजों के पदचिह्नों पर चलना है : कोविंद

रामनाथ कोविंद ने कहा कि मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है. उन्होंने कहा कि हमें अपने पूर्वजों के पदचिह्नों पर चलना है. राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभा में 15 महिलाओं ने भी योगदान दिया था. पराधीनता के विरुद्ध लड़ने वाले नायकों के नाम भुला दिए गए थे. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी जड़ों से जुड़े रहने की परंपरा को आगे बढ़ाएं. निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कानपुर में अपने गांव में शिक्षकों के पैर छूना, मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में शामिल है.

Also Read: Agnipath Scheme: राहुल गांधी ने अग्निपथ योजना पर पीएम मोदी को घेरा, पूछा- क्या होगा अग्निवीरों का भविष्य?