75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा और कर्पूरी ठाकुर का जिक्र किया. राष्ट्रपति ने कहा, इस सप्ताह के आरंभ में हम सबने अयोध्या में प्रभु श्री राम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा. भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार, भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे. उचित न्यायिक प्रक्रिया और देश के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ. अब यह एक भव्य संरचना के रूप में शोभायमान है. यह मंदिर न केवल जन-जन की आस्था को व्यक्त करता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में हमारे देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण भी है.

कर्पूरी ठाकूर पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे: राष्ट्रपति

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, मैं यह उल्लेख करना चाहूंगी कि सामाजिक न्याय के लिए अनवरत युद्धरत रहे, श्री कर्पूरी ठाकुर जी की जन्म शताब्दी का उत्सव कल ही संपन्न हुआ है. कर्पूरी जी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. उनका जीवन एक संदेश था. अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिए मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं.

महिला आरक्षण विधेयक पर क्या बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, जब संसद ने ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक पारित किया तो हमारा देश, स्त्री-पुरुष समानता के आदर्श की ओर आगे बढ़ा. मेरा मानना है कि ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’, महिला सशक्तीकरण का एक क्रांतिकारी माध्यम सिद्ध होगा. इससे हमारे शासन की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में भी बहुत सहायता मिलेगी. जब सामूहिक महत्व के मुद्दों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, तब हमारी प्रशासनिक प्राथमिकताओं का जनता की आवश्यकताओं के साथ बेहतर सामंजस्य बनेगा.

चंद्रयान-3 और आदित्य L1 पर क्या बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, इसी अवधि में भारत, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बना. चंद्रयान-3 के बाद ISRO ने एक सौर मिशन भी शुरू किया. हाल ही में आदित्य L1 को सफलतापूर्वक ‘हेलो ऑर्बिट’ में स्थापित किया गया है. भारत ने अपने पहले एक्स-रे पोलारिमीटर उपग्रह, जिसे एक्सपोसैट कहा जाता है, इसके प्रक्षेपण के साथ नए साल की शुरुआत की है. यह सैटेलाइट, अंतरिक्ष के ‘ब्लैक होल’ जैसे रहस्यों का अध्ययन करेगा. वर्ष 2024 के दौरान अन्य कई अंतरिक्ष अभियानों की योजना बनाई गई है. यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा में अनेक नई उपलब्धियां हासिल की जाने वाली हैं. ISRO के कार्यक्रम के प्रति देशवासियों मेंजो उत्साह दिखाई देता है उससे नई आशाओं का संचार हो रहा है. अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई उपलब्धियों ने, युवा पीढ़ी की कल्पना शक्ति को नए पंख दिए हैं.