जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का गुरुवार की रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया. उनकी बेटी ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस बात की जानकारी दी है. कई सरकारों में केन्द्रीय मंत्री रह चुके शरद यादव पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गये थे. उनके निधन पर राजनीतिक जगत में शोक की लहर है.

पीएम मोदी ने कहा- यादें संजो कर रखूंगा

शरद यादव के देहातं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताते हुए कहा कि शरद यादव जी के निधन से बहुत दुख हुआ. अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया. वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे. मैं हमेशा हमारी बातचीत और यादों को संजो कर रखूंगा. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं.


तेजस्वी यादव ने जताया दुख 

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने दुख जताते हुए कहा कि मंडल मसीहा, राजद के वरिष्ठ नेता, महान समाजवादी नेता मेरे अभिभावक आदरणीय शरद यादव जी के असामयिक निधन की खबर से मर्माहत हूं. कुछ कह पाने में असमर्थ हूं. माता जी और भाई शांतनु से वार्ता हुई. दुःख की इस घड़ी में संपूर्ण समाजवादी परिवार परिजनों के साथ है.


ममता बैनर्जी ने जताया दुख 

ममता बैनर्जी ने दुख जताते हुए कहा कि शरद यादव के निधन के बारे में सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ है. एक दिग्गज राजनेता और बेहद सम्मानित सहयोगी, उनकी विरासत जीवित रहेगी. मैं प्रार्थना करता हूं कि उनके परिवार और अनुयायियों को दुख की इस घड़ी में सांत्वना और शक्ति मिले.


चंद्रबाबू नायडू ने जताया दुख 

नारा चंद्रबाबू नायडू ने दुखा जताते हुए कहा कि शरद यादव जी के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ. लोक नायक जयप्रकाश नारायण की समाजवाद की धारा से उभरने वाली प्रमुख शख्सियतों में से एक, वे एक उल्लेखनीय नेता थे, जो हमेशा विनम्र और हमेशा जमीन से जुड़े रहते थे. गर्म, स्नेही और हर गलती के लिए उदार, वह चार दशकों से लड़ी गई कई लड़ाइयों में मेरे दोस्त और साथी थे. उनके निधन से मुझे अपूरणीय क्षति हुई है. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं.


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राजनाथ सिंह ने व्यक्त की संवेदना 

रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं देश के बड़े वरिष्ठ नेता शरद यादव जी के निधन से मुझे गहरी वेदना की अनुभूति हुई है. अपने लंबे राजनीतिक जीवन में उन्होंने हमेशा समाज के कमज़ोर वर्गों की समस्याओं को पुरज़ोर तरीक़े से उठाया. शरदजी के साथ मेरा बड़ा लंबा और बेहद आत्मीय संबंध रहा है. स्वभाव से बेहद सरल और बेबाक़ शरदजी का निधन एक बड़ी क्षति है. दुःख की इस घड़ी में मैं उनके शोकाकुल परिवार और समर्थकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए भी उन्होंने काफ़ी संघर्ष किया. उनके निधन से भारतीय राजनीति की एक प्रभावी आवाज़ ख़ामोश हो गई है.