नयी दिल्ली : दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने बुधवार कहा कि फाइजर को हमारे देश में आने की अनुमति मिल गयी है. कंपनी से बात चल रही है. उन्होंने उम्मीद जतायी है कि फाइजर अब अंतिम चरण में पहुंच रहा है. साथ ही उन्होंने देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से निबटने को लेकर तीन कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया है.

मालूम हो कि एक दिन पहले ही फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अल्बर्ट बोरला ने भारत में कोविड-19 वैक्सीन की मंजूरी को लेकर कहा था कि फाइजर अब अंतिम चरण में है. हालांकि, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा था कि अभी चर्चा चल रही है.

एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि फाइजर को पहले ही बच्चों के लिए एफडीए की मंजूरी मिल चुकी है और उसे भी हमारे देश में आने की अनुमति मिल गयी है. भारत बायोटेक और अन्य कंपनियां बहुत तेज गति से परीक्षण कर रही हैं, क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों के साथ परीक्षणों के लिए आगे आये हैं.

फाइजर की वैक्सीन की जुलाई में उपलब्धता को लेकर पूछे जाने पर एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कंपनी से बातचीत चल रही है. मुझे यकीन है कि वे अब अंतिम चरण में पहुंच रहे हैं. जहां तक ​​​​विभिन्न खंडों का संबंध है, फाइजर बातचीत कर रहा है और वे सरकार के साथ एक समझौते पर पहुंचने के बहुत करीब हैं. एक बार ऐसा हो जाने के बाद हम जल्द ही इन वैक्सीन को अपने देश में लाने में सक्षम होंगे.

साथ ही देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर उन्होंने कहा कि यह हम पर निर्भर है. अगर हम इससे बचना चाहते हैं, तो हमें दो-तीन चीजें करने की जरूरत है. पहला- आक्रामक रूप से कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करना. दूसरा- हमारे पास बहुत अच्छी निगरानी होनी चाहिए. तीसरा- वैक्सीनेशन के लिए आक्रामक रूप से आगे बढ़ना.

“डेल्टा प्लस चिंता का एक संस्करण बन गया है?” पूछे जाने पर एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हमारे पास डेल्टा प्लस संस्करण के लगभग 42 मामले हैं, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि क्या यह कुछ भी पैदा कर रहा है, जिसके बारे में हमें चिंतित होना चाहिए.

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