New Education Policy: देश में नयी शिक्षा नीति लागू हो चुकी है, लेकिन इस शिक्षा नीति का विरोध कई स्तरों पर हाे रहा है. ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (एआईडीएसओ) ने बुधवार को नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विरोध में एक कार्यक्रम का आयोजन किया. तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में शहीद बिरसा मुंडा को याद किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर चमन लाल ने कहा कि नयी शिक्षा नीति 2020 ने  शिक्षा के निजीकरण और व्यापीकरण की प्रक्रिया को बढ़ाने का काम किया है.

मानव निर्माण, चरित्र निर्माण और आजादी आंदोलन के महापुरुषों की विरासत और उनकी संस्कृति को नयी शिक्षा नीति के जरिये कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. एआईडीएसओ के  भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने कहा कि पूर्व में हुए छात्र आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि सम्मेलन के प्रति छात्रों और आम नागरिकों का जो समर्थन मिला है, यह शिक्षा की बिगड़ती हुई स्थिति और सरकार की सार्वजनिक शिक्षा को लेकर उदासीनता के प्रति लोगों के गुस्से का इजहार है.


छात्र आंदोलन को तेज करने की है जरूरत

New education policy: शिक्षा के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के खिलाफ हुआ मंथन 3

जाने-माने इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब ने कार्यक्रम के दौरान वीडियो मैसेज के जरिये छात्रों की भूमिका पर जोर दिया. जबकि प्राचीन इतिहास की प्रोफेसर रोमिला थापर के लिखित संदेश के जरिए शिक्षा के महत्व को बनाए रखने के लिए छात्रों के योगदान का जिक्र किया. इस कार्यक्रम में वाम और जनवादी सोच रखने वाले छात्र संगठनों जैसे आइसा, एआईएसएफ, एआईएसबी,  पीएसयू, एआईडीएसओ के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी.

इसके अलावा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न राज्यों से आए हुए प्रतिनिधियों ने अपनी अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां पेश की. सांस्कृतिक सत्र का उद्घाटन सीएसआईआर के पूर्व वैज्ञानिक व प्रसिद्ध कवि डॉक्टर गौहर रजा ने किया. सम्मेलन के पहला दिन का समापन के बाद छात्र आंदोलन को तेज करने और छात्र समुदाय व आम जनता को इकट्ठा होकर सार्वजनिक शिक्षा बचाने के आंदोलन को और मजबूत करने पर जोर दिया गया. सम्मेलन के दूसरे दिन 28 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ सेमिनार आयोजित किया जाएगा. 

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