राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोगी दल कुकी पीपुल्स अलायंस (KPL) की ओर से प्रदेश सरकार को जोर का झटका लगा है. केपीएल पार्टी ने मणिपुर में एन बिरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की आज यानी रविवार को घोषणा कर दी है. इसको लेकर केपीएम की ओर से राज्य के  राज्यपाल अनुसुइया उइके को एक ईमेल भी किया गया है. अपने पत्र में केपीएल प्रमुख तोंगमांग हाओकिप ने मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) लीड सरकार से संबंध तोड़ने के पार्टी फैसले की सूचना भी दे दी है. हालांकि, इससे सरकार को कोई खतरा नहीं हैं, क्योंकि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में बीजेपी के 37 सदस्य हैं.

हाओकिप ने पत्र में कहा है, मौजूदा स्थिति पर सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श करने के बाद, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह नीत मणिपुर सरकार के लिए समर्थन जारी रखने का कोई मतलब नहीं रह गया है. उन्होंने पत्र में कहा है, इस कारण मणिपुर सरकार से केपीएल अपना समर्थन वापस लेता है. विधानसभा में केपीए के दो विधायक सैकुल से केएच हांगशिंग और सिंघट से चिनलुंगथांग हैं. एनपीपी के सात और एनपीएफ के पांच विधायक हैं. कांग्रेस के भी पांच विधायक हैं. केपीए के महासचिव वी ललाम हांगशिंग ने इस बारे में कहा है कि हमने ईमेल के जरिये राज्यपाल को पत्र भेजा है. हमारे दो विधायक हैं और हम सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे थे. मौजूदा स्थिति के मद्देनजर समर्थन जारी रखने का कोई मतलब नहीं रह गया है.

21 अगस्त से शुरू हो सकता है विधानसभा का सत्र
कुकी पीपुल्स अलायंस ने एनडीए गठबंधन से अलग होने का फैसला ऐसे समय में लिया है जब प्रदेश में विधानसभा सत्र 21 अगस्त को शुरू हो सकता है. गौरतलब है कि मणिपुर मंत्रिमंडल ने राज्यपाल अनुसुइया उइके से 21 अगस्त से विधानसभा का सत्र शुरू करने का आग्रह किया था. हालांकि इस सत्र में कूकी विधायकों के शामिल होने की संभावना काफी कम थी. इस पहले, कुकी पीपल्स अलायंस के अध्यक्ष तोंगमांग हाओकिप ने कहा था कि राज्य में जारी हिंसा और अलग प्रशासन को लेकर कुकी समुदाय की मांगों पर अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है जिस वजह से कुकी-जोमी-हमार विधायकों के लिए विधानसभा सत्र में शामिल लेना संभव नहीं होगा.

गौरतलब है कि मणिपुर में बीती तीन मई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतई समुदाय की मांग के विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च के के दौरान हिंसा भड़क गई थी. बीते तीन महीनों में राज्य में जातीय हिंसा में 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया है. पूरे प्रदेश में हिंसा का दौर है. हालांकि सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के कारण हिंसा में कमी आई है. इसके बाद भी छिटपुट हिंसा की खबर आ ही जा रही है. इससे पहले मणिपुर हिंसा के दौरान चार मई को भीड़ की ओर से दो महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार को देखते हुए उस इलाके के थाना प्रभारी समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. इसके अलावा पुलिस ने कहा है कि प्रदेश के विष्णुपुर में तीन अगस्त को एक शस्त्रागार की लूट की घटनाओं की जांच के लिए एक पुलिस महानिरीक्षक के नेतृत्व में समयबद्ध जांच का भी आदेश दिया है.

300 लोगों की गिरफ्तारी
वहीं, मणिपुर में हिंसा को लेकर विभिन्न मामलों में अब तक करीब 300 लोगों को गिरफ्तारी हुई है. जातीय झड़पों के दौरान कई शून्य प्राथमिकी भी दर्ज की गई हैं. अधिकारियों का यह भी कहना है कि हाल में ही बिष्णुपुर जिले के नारानसीना स्थित द्वितीय इंडिया रिजर्व बटालियन के मुख्यालय से हथियारों और लगभग 19000 कारतूसों की लूट के संबंध में भी जांच की जा रही है. इस जांच का जिम्मा महानिरीक्षक रैंक के एक अधिकारी को दिया गया है. वहीं, 15 जुलाई को एक महिला की हत्या के सिलसिले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

भाषा इनपुट से साभार