‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुंबई : महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बवंडर उठने वाला है. वजह यह है कि पिछले साल भाजपा के इशारे पर शिवसेना में हुई फूट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) 20 जून को एकनाथशिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में हुई बगावत की पहली बरसी को ‘गद्दार दिवस’के रूप में मनाएगी. शिवसेना में बगावत के बाद महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी (एमवीए) की सरकार जून 2022 को गिर गई थी. बताते चलें कि एमवीए में उद्धवी सेना, एनसीपी और कांग्रेस एक-तीसरे के घटक हैं.
महाराष्ट्र में ‘खोका’ का प्रदर्शन
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, एनसीपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पार्टी कार्यकर्ताओं से शिवसेना के बागी विधायकों के खिलाफ प्रदर्शन की अपील की है. उन्होंने शनिवार को कहा कि एनसीपी कार्यकर्ताओं को सांकेतिक रूप से ‘खोका’ (रुपयों से भरे बक्से) दिखाकर पूरी ताकत से प्रदर्शन आयोजित करना चाहिए, जिसके आधार पर एकनाथ शिंदे सरकार सत्ता में आई है.
शिंदे शिविर की खुशी क्षणिक
उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे जनता को बताएं कि शिंदे शिविर की खुशी क्षणिक है, जिसके गुट को निर्वाचन आयोग ने वास्तविक शिवसेना करार दिया है और इस सरकार के गिने-चुने दिन बचे हैं.
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एनसीपी ने की हैं कई जनसभाएं
शरद पवार की अध्यक्षता वाली पार्टी ने इससे पहले जनसभाएं आयोजित की थीं, जिनमें महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और कैसे विधानसभाध्यक्ष राहुल नारवेकर 16 विधायकों को अयोग्य करार देने के कर्तव्य से बंधे हुए थे, उसकी जानकारी दी थी.