Kumar Vishvas Birthday: जाने-माने कवि और राजनेता कुमार विश्वास की साहित्य के क्षेत्र एक अलग ही पहचान है. हिन्दी जगत का शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो कुमार विश्वास को नहीं जानता हो. कोई भी कवि सम्मेलन हो उनकी अनुपस्थिति में फीका सा दिखाई देता है. देश के इस युवा कवि का जन्मदिन है. ऐसे में कुमार विश्वास के फेसबुक, ट्वीटर और अन्य सोशल साइट्स पर बधाइयों का तांता लगा है.

कुमार विश्वास जितने बड़े कवि हैं उतना बड़ा ही उनकी फैन फॉलोइंग भी है, तभी तो हर उम्र के लोग उन्हें जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं. कुमार विश्वास को अपने बधाई संदेश में दादी प्रकाशी तोमर ने ट्वीट कर कहा हैं, कोई विस्वास कहता है,कोई डॉक्टर कहता है. Grinning face with smiling eyes जन्मदिन की शुभकामनाएं और आशीर्वाद.

तो वहीं, महेन्द्र सिसोदिया ने विश्वास को बधाई देते हुए लिखा है मेरे अभिन्न मित्र व लोकप्रिय कवि कुमार विश्वास जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, ईश्वर से आपके स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की मंगलकामना करता हूँ. मां सरस्वती का आप पर आशीर्वाद बना रहें.

तो वहीं, हरिओम नाम के एक शख्स ने बधाई देते हुए कहा है कि, हिन्दी काव्य जगत के देदीप्यमान नक्षत्र, राष्ट्रवाद के सशक्त हस्ताक्षर एवं ओजस्वी वक्ता डा. कुमार विश्वास जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। प्रभु श्रीराम आपको उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु प्रदान करें.

प्रसिद्ध कवि और राजनेता कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी, 1970 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित पिलखुआ में हुआ था. कुमार विश्वास के पिता का नाम डॉ. चंद्रपाल शर्मा हैं, जो आरएसएस डिग्री कॉलेज में प्रध्यापक हैं. कुमार विश्वास अपनी कविताओं के अलावा राजनीति में भी काफी सक्रिय रहने के कारण चर्चा में रहे हैं. उन्होंने 2014 में अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें जीत हासिल नहीं हो पाई थी.

1994 में राजस्थान के एक कॉलेज में उन्होंने लेक्चरर की नौकरी की थी. आम आदमी पार्टी में उन्होंने अपनी राजनीति की शुरूआत की थी. हालांकि उनका राजनीतिक सफर ज्यादा चल नहीं सका और बढ़ते विवादों के कारण उन्होंने पार्टी से अपनी राहें अलग कर ली थी.

कुमार विश्वास ने दो किताबें भी लिखी है. पहला ‘इक पगली लड़की के बिन’ और ‘कोई दीवाना कहता है. ये दोनों किताब काफी प्रसिद्ध हुए है. कुमार विश्वास को काव्य कुमार, डॉ. सुमन अलंकरण अवार्ड, श्री साहित्य अवार्ड और गीत श्री अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.

इंजीनियर बनते बनते कवि बन गये: कुमार विश्वास के पिता इन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे. इंजीनियर बनने के लिए विश्वास ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी की, लेकिन साहित्य से गहरा लगाव होने कारण विश्वास ने इजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और हिंदी साहित्य में स्नातक किया.

Posted by: Pritish Sahay