Farmers Protest : किसान आंदोलन के पक्ष में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने कृषि बिल को वापस लेने की सरकार से मांग की और विरोध स्वरूप अवार्ड वापसी का निर्णय किया. सबसे पहले अकाली दल के दो नेता प्रकाश सिंह बाद और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने अवार्ड वापसी का ऐलान किया. बादल ने पद्मविभूषण और ढींढसा ने पद्मभूषण लौटने का ऐलान किया.

मोदी सरकार के काल में यह दूसरी बार हो रहा है कि अवार्ड वापसी का सिलसिला चल पड़ा है. पहली बार 2015 में देश में बढ़ती हिंसा और अभिव्यक्ति की आजादी पर उठे सवाल के बाद अवार्ड वापसी का दौर चला था और अब ठीक पांच साल बाद 2020 में देश में एक बार फिर अवार्ड वापसी का दौर चल रहा है.

आंदोलन के साथ ही अवार्ड वापसी की घोषणा करने वालों की लिस्ट लंबी होती गयी है. राष्ट्रीय बॉक्सिंग टीम के पूर्व कोच गुरबक्श सिंह संधू ने भी किसानों की मांगों के समर्थन में कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांग को नहीं माना तो वे अपना द्रोणाचार्य पुरस्कार लौटा देंगे. संधू जब बॉक्सिंग टीम के कोच थे तो भारत को मुक्केबाजी का पहला ओलिंपिक मेडल मिला था.

उनके बाद पूर्व पहलवान और अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करतार सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पुरस्कार वापसी की घोषणा की. पंजाब से ताल्लुक रखने वाले कई खिलाड़ियों ने अवार्ड वापसी की बात कही, जिनमें बॉक्सर विजेंदर सिंह भी शामिल हैं. विजेंदर सिंह ने कल ही घोषणा की थी कि अगर सरकार ने कृषि बिल को वापस नहीं लिया तो वे अपना खेल रत्न पुरस्कार लौटा देंगे.

आज दोपहर लगभग 30 खिलाड़ी अवार्ड वापसी के लिए राष्ट्रपति भवन मार्च कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. किसानों ने कृषि बिल की वापसी के लिए कल भारत बंद का ऐलान किया है, जिसका समर्थन पूरे देश में हो रहा है. किसानों को बॉलीवुड से भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है.

किसान आंदोलन के पक्ष में पंजाबी के मशहूर कवि सुरजीत पातर ने भी अपना पद्म श्री पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि किसानों के साथ सरकार जिस तरह का व्यवहार कर रही है उससे मैं आहत हूं, इसलिए मैंने पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है.

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वर्ष 2015 में साहित्य जगत के लगभग 40 लोगों ने अवार्ड वापसी का विरोध प्रदर्शन किया था. जिनमें उदय प्रकाश, अशोक वाजपेई, नयनतारा सहगल और रहमान अब्बास जैसे लेखक शामिल थे.

Posted By : Rajneesh Anand