विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र की आम बहस को संबोधित करते हुए कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान और अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप की कवायद चुनिंदा तरीके से नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि वे दिन बीत गए, जब कुछ राष्ट्र एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनकी बात मान लें. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया तय करने में राजनीतिक सहूलियत को आड़े नहीं आने देने का आह्वान करता है. विदेश मंत्री ने कहा, हमें टीका भेदभाव जैस अन्याय फिर नहीं होने देना चाहिए. जलवायु कार्रवाई भी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों से मुंह फेरकर जारी नहीं रह सकती है. खाद्य एवं ऊर्जा को जरूरतमंदों के हाथों से निकालकर धनवान लोगों तक पहुंचाने के लिए बाजार की ताकत का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.

विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि हमें ऐसा करना चाहिए कि राजनीतिक सहूलियत आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर प्रतिक्रिया तय करे. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान और अंदरूनी मामलों में गैर-हस्तक्षेप की कवायद चुनिंदा तरीके से नहीं की जा सकती. बता दें अमेरिका ने सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कथित रूप से कनाडा को खुफिया सूचना उपलब्ध कराई थी. इसी कड़ी में कनाडा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने चरमपंथी नेता की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया था. हालांकि, भारत ने उनके बयान को बेतुका और राजनीति से प्रेरित कहकर नकार दिया था.

हम सुबूतों को देखने को तैयार- जयशंकर

इसी कड़ी में भारत-कनाडा विवाद पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि हमने कनाडाई लोगों से कहा कि यह भारत सरकार की नीति नहीं है. यदि आपके पास कुछ विशिष्ट है और यदि आपके पास कुछ प्रासंगिक है, तो हमें बताएं. हम इसे देखने के लिए तैयार हैं. जयशंकर ने कहा कि एक तरह से संदर्भ के बिना तस्वीर पूरी नहीं होती है.  आपको यह भी सराहना करनी होगी कि पिछले कुछ वर्षों में कनाडा ने वास्तव में अलगाववादी ताकतों से संबंधित बहुत सारे संगठित अपराध देखे हैं. संगठित अपराध, हिंसा और उग्रवाद वे सभी बहुत, बहुत गहराई से मिश्रित हैं.  तो वास्तव में हम विशिष्टताओं और सूचनाओं के बारे में बात कर रहे हैं. हमने उन्हें संगठित अपराध और नेतृत्व के बारे में बहुत सारी जानकारी दी है, जो कनाडा से संचालित होता है.

जयशंकर ने कहा कि  बड़ी संख्या में प्रत्यर्पण अनुरोध भारत ने कनाडा से की है. ये ऐसे आतंकवादी नेता हैं, जिनकी पहचान की गई है. हमारी चिंता यह है कि राजनीतिक कारणों से यह वास्तव में बहुत उदार है. इसलिए हमारे पास ऐसी स्थिति है जहां हमारे राजनयिक हैं धमकाया गया, हमारे वाणिज्य दूतावासों पर हमला किया गया. इसमें से बहुत कुछ को अक्सर उचित ठहराया जाता है, क्योंकि यह कहा जाता है कि लोकतंत्र इसी तरह काम करता है. यदि कोई मुझे कुछ विशिष्ट देता है, तो इसे कनाडा तक सीमित रखने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन अगर कोई ऐसी घटना है जो एक मुद्दा है और कोई सरकार के रूप में मुझे कुछ विशिष्ट जानकारी देता है, तो मैं उस पर गौर करूंगा.


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गौरतलब है कि कनाडा में सिखों की आबादी 770000 है, जो देश की कुल जनसंख्या का दो फीसदी है. वहां सिख एक अहम वोट बैंक समझे जाते हैं. जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, हमारी चर्चाओं में, हम अक्सर नियम आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं. समय-समय पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति सम्मान की भी बात भी उठाई जाती है. लेकिन इन सभी चर्चाओं के लिए, अब भी कुछ देश हैं, जो एजेंडा तय करते हैं और नियमों को परिभाषित करते हैं. यह अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता. ऐसा भी नहीं है कि इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है. उन्होंने कहा, एक बार हम सभी अपना दिमाग इस पर लगाएं, तो निश्चित ही निष्पक्ष, समान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था उभरकर सामने आएगी.

भाषा इनपुट के साथ