जनसंख्या नियंत्रण: दो बच्चों की नीति पर सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका, राज्यों को पक्ष बनाने की गुहार

Population Control देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो बच्चों की नीति सहित कुछ कदम उठाने संबंधी जनहित याचिका में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पक्ष बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक नयी याचिका दायर की गई है. अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा यह याचिका दायर की गई है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2021 10:54 PM
an image

Population Control देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो बच्चों की नीति सहित कुछ कदम उठाने संबंधी जनहित याचिका में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पक्ष बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक नयी याचिका दायर की गई है. अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा यह याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि जनसंख्या विस्फोट देश के प्राकृतिक संसाधनों पर अत्यधिक बोझ सहित कई समस्याओं का मूल कारण है.

चर्चित अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने के लिए जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें देश की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए दो बच्चों के नियम सहित कुछ कदम उठाने का आग्रह करने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था. केंद्र ने पूर्व में कोर्ट से कहा था कि भारत अपने लोगों पर जबरन परिवार नियोजन लागू करने के स्पष्ट रूप से खिलाफ है और एक निश्चित संख्या में बच्चे पैदा करने के लिए किसी भी तरह के दबाव के परिणाम प्रतिकूल होंगे तथा इससे जनसांख्यिकीय विकृति उत्पन्न होगी.

केंद्र ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि देश में परिवार कल्याण कार्यक्रम स्वैच्छिक प्रकृति का है, जिसने दंपतियों को उनकी पसंद और बिना किसी मजबूरी के अपने परिवार का आकार तय करने और परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाने में सक्षम बनाया है. जनहित याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट यह महसूस करने में विफल रहा कि सभी नागरिकों के लिए संविधान के अनुच्छेद 21 और 21ए के तहत प्रदत्त स्वच्छ हवा, पेयजल, स्वास्थ्य, शांतिपूर्ण नींद, आश्रय, आजीविका और शिक्षा के अधिकार की गारंटी जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित किए बिना हासिल नहीं की सकती.

हाई कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया था कि भारत की आबादी चीन से आगे निकल गई है. क्योंकि, लगभग 20 फीसदी भारतीयों के पास आधार नहीं है और इसलिए उनका कोई हिसाब नहीं है तथा करोड़ों रोहिंग्या और बांग्लादेशी भी अवैध रूप से रह रहे हैं. साथ ही इसमें दावा किया गया कि दुष्कर्म और घरेलू हिंसा जैसे जघन्य अपराधों में सहायक कारक होने के साथ ही जनसंख्या विस्फोट भ्रष्टाचार का मूल कारण है. याचिका में जनसंख्या विस्फोट को संसाधनों तथा नौकरियों की कमी और प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार बताया गया था.

Also Read: मनी लॉन्ड्रिंग केस: पूर्व मंत्री अनिल देशमुख को भेजा गया आर्थर रोड, ED ने की थी कस्टडी बढ़ाने की मांग

Exit mobile version