‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : देश-दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है. कोरोना संक्रमण की रफ्तार के बीच कई वैज्ञानिकों के दावे और इस महामारी से डरा रहे हैं. कई वैज्ञानिकों का दावा है सितंबर माह में कोविड 19 की रफ्तार और तेज हो जाएगी. इधर कोरोना को जड़ से खत्म करने के लिए भारत समेत दुनिया के 7 देश वैक्सीन बनाने में दिन-रात लगे हैं. जिसमें ब्रिटेन, चीन, अमेरिका और रूस सबसे आगे हैं. भारत में भी कोरोना के टीके का मानव परीक्षण शुरू हो चुका है.
बहरहाल ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में तैयार किये रहे कोरोना वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर आ रही है. टाइम्स नाउ के हवाले से खबर है कि वैक्सीन के ट्रायल में उम्मीदों से दोगुने अच्छे नतीजे सामने आये हैं. बताया जा रहा है वैक्सीन कोरोना के खिलाफ जरूर असर करेगी. मालूम हो ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और AstraZeneca ने AZD1222 नाम की वैक्सीन तैयार की है.
जायडस कैडिला को कोविड-19 टीके का परीक्षण सात माह में पूरा होने की उम्मीद
भारत की दवा कंपनी जायडस कैडिला को उम्मीद है कि वह अपने कोविड-19 के संभावित टीके ‘जायकोव-डी’ का क्लिनिकल परीक्षण सात महीने में पूरा कर लेगी. कंपनी के चेयरमैन पंकज आर पटेल ने यह जानकारी दी. कंपनी ने अपने कोविड-19 टीके का क्लिनिकल परीक्षण शुरू किया है. पटेल ने कहा, कंपनी अगले तीन माह में चरण एक और चरण-दो का क्लिनिकल परीक्षण पूरा करने की तैयारी कर रही है. उसके बाद इसका डाटा नियामक को सौंपा जाएगा.
उन्होंने कहा कि अध्ययन के नतीजों के बाद यदि डाटा उत्साहवर्धक रहता है और परीक्षण के दौरान टीका प्रभावी पाया जाता है, तो परीक्षण पूरा करने और टीका पेश करने में सात माह का समय लगेगा. पटेल ने कहा कि हमारा मकसद सबसे पहले भारतीय बाजार की मांग पूरा करने का है.
उन्होंने कहा कि हम इस बारे में विभिन्न देशों की फार्मा कंपनियों से भागीदारी की संभावना तलाश सकते हैं, लेकिन अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगा. इससे पहले जायडस को इसी महीने राष्ट्रीय दवा नियामक से कोविड-19 टीके के ‘कैंडिडेट’ का मानव परीक्षण शुरू करने की अनुमति मिली थी.
Posted By – Arbind kumar mishra