‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम कांग्रेस के लिए निराश करने वाले हैं. अबतक प्राप्त रूझानों के अनुसार कांग्रेस पार्टी को 70 सीट पर बढ़त मिली है, जिनमें से सात के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं. पिछली दफा कांग्रेस को राजस्थान में बहुमत मिला था और उस चुनाव को जीतने में सचिन पायलट की अहम भूमिका थी. सचिन पायलट ने जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए बहुत प्रयास किए थे, जिसका परिणाम चुनाव में दिखा था. लेकिन इस चुनाव में सचिन पायलट नाराज थे.
मुख्यमंत्री पद नहीं मिलने से नाराज थे सचिन पायलट
सचिन पायलट की नाराजगी इस वजह से थी कि उन्हें पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री का पद नहीं मिला. राजनीतिक गलियारों से जो खबरें छनकर सामने आईं उनके अनुसार अशोक गहलोत और सचिन पायलट को ढाई-ढाई साल तक मुख्यमंत्री बनाने की बात हुई थी, लेकिन बाद में हाईकमान ने अशोक गहलोत के अनुभव को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंपा और सचिन दरकिनार कर दिए गए.
सचिन पायलट ने पार्टी तोड़ने की कोशिश भी की थी
सचिन पायलट ने इस उपेक्षा के बाद अपने 20 समर्थक विधायकों के साथ पार्टी तोड़ने की धमकी भी दी थी, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए. लेकिन सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच तनातनी जारी रही. अशोक गहलोत के खिलाफ उन्होंने ना सिर्फ बयान दिया, बल्कि एक अभियान भी छेड़ा और यह कहा कि अगर अशोक गहलोत की सरकार उन वायदों को पूरा नहीं करती, जिनके भरोसे वे सत्ता तक पहुंचे हैं, तो पार्टी को चुनाव में जाने का कोई हक नहीं है.
अशोक गहलोत ने सचिन को बताया था मानसिक दिवालिया
वहीं अशोक गहलोत ने भी सचिन पायलट पर सार्वजनिक तौर पर कई हमले किए और उनकी मानसिक स्थिति पर भी सवाल उठा दिए. अशोक गहलोत की बयानबाजी से पार्टी ने इन दोनों के बीच पैचअप कराने के जो भी प्रयास किए वे विफल हो गए. सचिन पायलट और अशोक गहलोत के झगड़े का असर कांग्रेस पार्टी के भविष्य पर पड़ा और पार्टी राजस्थान में सत्ता से दूर होती नजर आ रही है.
गुर्जर अशोक गहलोत से थे नाराज
सचिन पायलट की अनदेखी से गुर्जर वोटर नाराज चल रहे थे और उन्होंने प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से दूर कर दिया. हालांकि सचिन पायलट टोंक विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत गए हैं उन्होंने बीजेपी नेता अजित सिंह मेहता को शिकस्त दी है. सचिन पायलट को 105812 वोट मिले हैं. अशोक गहलोत अभी सरदारपुरा सीट से आगे चल रहे हैं, वे चुनाव जीत भी जाएंगे, लेकिन दो नेताओं की लड़ाई में पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ है, उनके हाथ से एक राज्य निकल गया है.