‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को स्वास्थ्य आंकड़ा प्रबंधन नीति के बारे में परामर्श प्रक्रिया के विस्तार की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यदि इस तरह के प्रक्रियागत पहलुओं को जटिल बनाया जाता है तो सरकार नीतियां ही नहीं बना सकती .
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रक्रियागत पहलुओं को इतना बोझिल या जटिल नहीं बनाएं कि सरकार नीति निर्माण के लिये हतोत्साहित हो जाये . हालांकि उच्च न्यायाल के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी एन पटेल एवं न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) की नीति की परामर्श प्रक्रिया में कथित अपर्याप्तताओं को उजागर करने वाली याचिकाकर्ता के अभिवदेन पर विचार करने का निर्देश दिया .
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अदालत ने कहा कि 29 अगस्त को डॉक्टर द्वारा पेश किये गये इस अभिवेदन पर कानूनों, नियम, विनियम और मामले में सरकार की नीति के अनुसार निर्णय किया जाएगा. अदालत ने इस निर्देश के साथ डॉ सतेंद्र सिंह की ओर से दायर इस याचिका का निस्तारण हो गया. याचिका में दावा किया गया था कि 26 अगस्त को परामर्श के लिए जारी नोटिस को “असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक, भेदभावपूर्ण, और पहुंच से बाहर” बताया गया क्योंकि यह प्रभावी एवं सार्थक जन भागीदारी को आगे नहीं बढ़ाता है.
Posted By – Pankaj Kumar Pathak