चीन की चिनबू परंपरा से कैसे जुड़ा है कोरोना वायरस संकट
क्या आपको पता है कि चीन की संस्कृति और खानपान से जुड़ी चिनबू परंपरा क्या है और कैसे ये कोरोना वायरस फैलने की बड़ी वजह है.
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कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के हुबई प्रांत की राजधानी वुहान से सामने आया. वुहान, जहां जिंदा और मृत पालतु और जंगली जानवरों का बड़ा मेला लगता है. लेकिन क्या आपको पता है कि चीन की संस्कृति और खानपान से जुड़ी चिनबू परंपरा क्या है और कैसे ये कोरोना वायरस फैलने की बड़ी वजह है. नहीं जानते हैं तो हम आपको बताते हैं.
चिनबू और कोरोना का गहरा संबंध: दरअसल, इस चिनबू परंपरा का कोरोना वायरस से काफी स्ट्रांग कनेक्शन है. कहा जा रहा है कि इसी परंपरा की वजह से दुनिया इस समय भीषण संकट में जहां सवाल सीधा जिंदगी और मौत से हो गया है. चलिए आपको सब कुछ विस्तार से बताते हैं.
चीनियों की आदत और वैश्विक संकट: न्यूज वेबसाइट दी लल्लनटॉप में छपी रिपोर्ट के मुताबिक चिनूब परंपरा में दक्षिणी चीन में लोगों की मान्यता है कि कुछ विशेष वन्यजीवों को खाने, या उनके अंगो से बनी दवाइयों का सेवन करने से यौवन या जवानी बनी रहती है. चीनी पुरुष मानते हैं कि इन जानवरों का सेवन करने से सेक्स पॉवर बढ़ती है. औरतें मानती है कि इससे यौवन और खूबसूरती सालों साल बनी रहती है.
वुहान के पशु बाजार का कनेक्शन: इसी आदत या कहें कि सनक की वजह से चीन के वुहान शहर में बहुत बड़ा लाइव एनीमल मार्केट लगता है. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां कौन-कौन से जानवर बेचे जाते हैं. शायद नहीं. कोई बात नहीं, हम बताते हैं.
वुहान के इस पशु बाजार में लोमड़ी, घड़ियाल, सांप, बिच्छू, ऑक्टोपस, कुत्ते, बिल्लियां, चमगादड़, बाघ के नाखून, भालू के पंजे, छिपकली की प्रजाति के बड़े जानवर और मंगोरिन, जिंदा और मृत, दोनों तरीके से बेचे जाते हैं. लोग बड़े चाव से यहां से इन जानवरों की या इनके मांस की खरीददारी करते हैं.
कच्चा मांस खाने की अजीब सनक: लोग यहां इन जानवरों का मांस खाते हैं. ये कहना ज्यादा सही होगा कि कच्चा मांस खाते हैं. क्योंकि इनका मानना है कि, मर्दानगी या जवानी बनाये रखने के लिये इनकों पकाने की वजह ताजा और कच्चा खाना ज्यादा फायदेमंद है..लोग तो यहां जानवरों का ताजा खून तक पी जाते हैं.
खून गर्म और ज्यादा ताजा रहे, इसलिए मारने से पहले जानवरों का दौड़ाया जाता है, टॉर्चर किया जाता है ताकि भागदौड़ से खून गरम हो. अब सवाल कि, इसका कोरोना से क्या लेना देना.
पैंगोलिन जानवर से पनपा वायरस: दरअसल, कोरोना वायरस और इसके फैलने को लेकर शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पैंगोलिन नामक जानवर में कोरोना वायरस मिलता-जुलता वायरस पाया. ये वायरस कोरोना से 95 फीसदी तक मेल खाता है.
पैंगोलिन एक लुप्तप्राय वन्य जीव है जिसकी चीन सहित दुनियाभर में भारी मांग है. इसकी त्वचा का इस्तेमाल दवा बनाने के लिये होता है, वहीं इसका मांस वही यौवन संबंधी कारणों से खाया जाता है..
बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना वायरस वैसे तो चमगादड़ में पाया जाता है लेकिन किसी दिन चमगादड़ की लीद जंगल में कहीं गिरी. जिसके संपर्क में पैंगोलिन आया और कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया. इसके बाद इसके संपर्क में आने वाले अन्य वन्यजीव प्रभावित हुये.
जब इन जानवरों को वुहान के पशु बाजार में लाया गया तो यहां के दुकानदार इस वायरस के संपर्क में आ गये. फिर यहीं से ये चीन के बाकी लोगों तक फैला. कहा तो ये भी जा रहा है कि एक लड़की ने चमगादड़ को ना केवल खाया बल्कि उसका सूप भी पिया था जिसकी वजह से वो कोरोना वायरस से संक्रमित हुई.
इससे पहले भी पैदा हुई थी दिक्कत: इससे पहले सॉर्स और इबोला जैसे वायरस भी इन्ही वन्यजीवों के माध्यम से ही फैले थे. तब ही आशंका जताई गयी थी कि दोबारा इंसानों पर ऐसे वायरस का हमला हो सकता है. इसलिए वन्यजीव सुरक्षा से जुड़ी संस्थाओं ने मांग की थी कि इनकी तस्करी पर रोक लगाई जाये, बाजार में इनकी खरीद ब्रिक्री रोकी जाये.
इबोला और सॉर्स के समय प्रतिबंध लगा भी था लेकिन बाद में सब फिर जैसे-तैसे वाला हाल हो गया. लोग नहीं संभले. परिणाम दुनिया के सभी देश भुगत रहे हैं.
इन देशों में भी है पशु बाजार: हालांकि, अकेला चीन ही नहीं है जहां ऐसा बाजार होता है. दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों में लोग वन्यजीवों का मांस खाना पसंद करते हैं अलग-अलग कारणों से. अमेरिका में भी ऐसा एक बाजार है. कई बार मांग की जा चुकी है कि इसे बंद किया जाये लेकिन लोग मानते नहीं है.
मुश्किल इस बात की है कि वन्यजीवों में पाये जाने वाले वायरस के बारे में ज्यादा स्पष्ट जानकारी नहीं होती और इसलिये लोग प्रभावित हो जाते हैं.