COVID-19 Vaccine: कोविड-19 वैक्सीन से मिली प्रतिरोधक क्षमता लंबे समय तक नहीं टिकती है. इस कारण लोगों के लिए एहतियाती खुराक लेना अनिवार्य हो जाता है. जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में बीते दिनों प्रकाशित एक नए अनुसंधान में कुछ ऐसी ही जानकारी निकल कर सामने आई है. वहीं, कोविड वर्किंग ग्रुप NTAGI के अध्यक्ष डॉ एनके अरोड़ा ने भी भारतीयों से एहतियाती खुराक लेने का अनुरोध किया है.

भविष्य में हमारे स्वास्थ्य के लिए बीमा का काम करेगी बूस्टर डोज

डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि एहतियाती खुराक इसलिए लेना जरूरी है, क्योंकि 6 से 8 महीनों के बाद हमारे शरीर में एंटीबॉडी कम हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि बूस्टर डोज भविष्य में हमारे स्वास्थ्य के लिए बीमा का काम करेगी. डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 8 महीनों में अस्पतालों में भर्ती 90 फीसदी मरीजों को बूस्टर डोज नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि कोविड हमारे आसपास है और वायरस का काफी महत्वपूर्ण संचरण चल रहा है. हालांकि, हम इसका गंभीर रूप नहीं देख रहे हैं और सौभाग्य से मौतों की संख्या बेहद कम है.


अनुसंधान में सामने ये जानकारी

जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अनुसंधान के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने बताया कि टीकाकरण के बावजूद किसी व्यक्ति के कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा इस बात पर निर्भर करता है कि उसे कौन-सा टीका लगा है. उन्होंने पाया कि एम-आरएनए पर आधारित टीके (Pfizer and Moderna vaccine) कोरोना वायरस संक्रमण से सबसे लंबी अवधि तक सुरक्षा मुहैया कराते हैं. उनसे पैदा प्रतिरोधक क्षमता प्राकृतिक संक्रमण या जॉनसन एंड जॉनसन और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित टीके से हासिल प्रतिरक्षा से तीन गुना ज्यादा समय तक टिकती है.

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