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नयी दिल्ली : देश भर में कोरोनावायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) का टीकाकरण 16 जनवरी से शुरू हो जायेगा. केंद्र सरकार सरकार की ओर से शनिवार को इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी गयी है. भारत बायोटेक (Bharat Biotech) के कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के कोविशील्ड (Covishield) को भारत के ड्रग कंट्रोलर ने इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी पहले ही दे दी है. ये टीके इंजेक्शन के रूप में लगाये जायेंगे. वहीं भारत बायोटेक कोरोना पर असर करने वाला नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) भी तैयार कर रहा है.
नेजल वैक्सीन को नाक के रास्ते शरीर में डाला जायेगा. चूंकि कोरोनावायरस संक्रमण नाक से ज्यादा तेजी से फैलता है, इसलिए जानकारों का कहना है कि नेजल वैक्सीन ज्यादा असरदार साबित होगा. भारत बायोटेक ने नेजल वैक्सीन के निर्माण के लिए वाशिंगटन की एक कंपनी से करार किये हैं. कंपनी ने हाल ही में बताया है कि इस नेजल वैक्सीन का फेज-1 का ट्रायल फरवरी-मार्च में महीनें में शुरू होगा.
टीका निर्माता कंपनी ने पीटीआई-भाषा को ई-मेल के जरिए दी जानकारी में कहा कि बीबीवी154 (नाक के रास्ते दिया जाने वाला कोविड-19 का संभावित टीका) का चिकित्सकीय परीक्षण करने से पहले की जांच- जैसे विषाक्तता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और प्रशिक्षण की चुनौतियां- हो चुकी हैं. ये अध्ययन भारत और अमेरिका में किये गये हैं. पहले चरण के चिकित्सकीय परीक्षण फरवरी-मार्च 2021 में शुरू होंगे. पहले चरण का चिकित्सकीय परीक्षण भारत में होगा.
इस नेजल वैक्सीन के लिए भारत बायोटेक ने वाशिंगटन विश्वविद्यालय से सबद्ध सेंट लुइस स्थित स्कूल ऑफ मेडिसिन से ‘चिम्प-एडनोवायरस’ (चिम्पैंजी एडनोवायरस) के लिए करार किया जो कोविड-19 के खिलाफ नाक के रास्ते दिया जाने वाला एक खुराक वाला वैक्सीन होगा. भारत बायोटेक को अमेरिका, जापान एवं यूरोप को छोड़ कर दुनिया के अन्य बाजारों में इन टीकों को वितरित करने का अधिकार होगा.
नेजल वैक्सीन के एक ही डोज की होगी जरूरत
कोरोना वैक्सीन की इंजेक्शन के रूप में दो डोज की जरूरत होगी. वहीं नेजल वैक्सीन की एक ही डोज कोरोना से लड़ाई के लिए पर्याप्त होगा. भारत बायोटेक के अध्यक्ष कृष्णा इला ने इससे पहले कहा था कि कंपनी नाक के रास्ते दिये जाने वाले टीके को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में इंजेक्शन के जरिये मांसपेशियों मे लगाये जाने वाले टीके की दो खुराक की जरूरत होती है और ऐसे में भारत जैसे देश को 2.6 अरब सिरिंज एवं सूई की जरूरत पड़ेगी जिससे प्रदूषण बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि नाक के रास्ते दिया जाने वाला टीका न केवल लगाने में आसान है बल्कि इससे सूई, सीरिंज आदि की भी जरूरत नहीं होगी जिससे टीकाकरण का कम खर्च आयेगा. दोनों नथूनों में एक-एक बूंद टीका ही पर्याप्त होगा.
भाषा इनपुट के साथ
Posted By: Amlesh Nandan.