Chandrayaan-3: करीब साढ़े 25 घंटे की उल्टी गिनती के बीच जैसे ही घड़ी की सुई 2.35 पर पहुंची लाखों भारतीयों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई. धुंए का गुबार छोड़ता चंद्रयान अपनी मंजिल चांद की ओर तेजी से उड़ चला. बता दें, बीते 15 सालों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का यह तीसरा चंद्र मिशन है. चंद्रयान-3 की सफलता से पूरा देश उत्साहित है. इसी कड़ी में नेहरू तारामंडल की प्रोग्रामिंग मैनेजर प्रेरणा चंद्रा ने कहा है कि इसरो के साथ-साथ, सभी भारतीय नागरिक मिशन को लेकर उत्साहित थे. चंद्रयान-2 की लैंडिंग सुचारू नहीं होने के कारण डर की भावना थी. लेकिन, हमने देखा कि हमने रॉकेट के सभी चरणों को सफलतापूर्वक पार कर लिया और अब, हम अंतरिक्ष में हैं. मिशन हमें बाहरी अंतरिक्ष में अन्य एक्सोप्लैनेट की खोज में मदद करेगा जो जीवन को बनाए रख सकते हैं.

LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज यानी शुक्रवार को एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए इसरो ने अपने तीसरे चंद्र मिशन-चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण किया. इस अभियान के तहत चांद की सतह पर एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा. इसमें सफलता मिलते ही भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना है. इसरो के अधिकारियों ने बताया कि उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद प्रणोदन मॉड्यूल रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया और यह चंद्र कक्षा की ओर बढ़ते हुए पृथ्वी से 170 किमी निकटतम और 36500 किमी अधिकतम बिंदु पर एक अण्डाकार चक्र में लगभग पांच-छह बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा.

लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग अभियान की सबसे बड़ी चुनौती

चंद्रयान-3 भारत के चंद्र मिशन 2019 के चंद्रयान-2 का ही अनुवर्ती मिशन है. भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का है. बता दें, लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग इस अभियान की सबसे बड़ी चुनौती है. इसी कड़ी में इसरो चीफ एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लॉन्च के बाद कहा कि चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. यह  23 अगस्त की शाम चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है. चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल रखे गये हैं. लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतारने की योजना है. यहां ये  14 दिनों तक कई तरह के परीक्षण करेगा, जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन की स्टडी करेगा. यह इस बात का भी पता लगाने की कोशिश करेगी की चांद की सतह कितनी सिस्मिक है. इसके अलावा चांद यह चांद की उस खास क्षेत्र की मिट्टी और धूलकण का भी अध्ययन करेगा.

अमेरिकी, रूस और चीन के बराबर खड़ा हो जाएगा भारत
भारत के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 अपने मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर विक्रम पथ विचलन के चलते सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं हुआ था. यदि इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा. चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद पूरे देश में जश्न का माहोल हो गया. देस विदेश से कई लोगों ने इसरो को बधाई संदेश दिया. इस दौरान इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने अपील की है कि मिशन की सफलता के लिए पूरा देश शुभकामनाएं जारी करें.  सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना है.

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पूरी योजना में 600 करोड़ रुपये की लगी है लागत
इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा है कि 600 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले इस मिशन के सफल प्रक्षेपण से चंद्रयान-3 को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की योजना है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किये जाने की योजना है. सोमनाथ ने कहा कि शुक्रवार को प्रक्षेपण के बाद रॉकेट दीर्घ वृताकार चंद्र कक्षा में आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा, हमें चंद्रयान-3 को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की उम्मीद है और इसके दो-तीन सप्ताह के बाद प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होगा जो 17 अगस्त को होगा. उन्होंने कहा कि अगर सभी चीजें निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप रहती हैं तो इसका अंतिम चरण 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर किये जाने की योजना है.

भाषा इनपुट के साथ