Chandrayaan-3 First Video: चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करवाकर इसरो ने इतिहास रच दिया है. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश भी बन गया है. इसी कड़ी में चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम के चांद पर उतरने के बाद रोवर प्रज्ञान भी बाहर आ गया है. प्रज्ञान ने अपना काम भी शुरू कर दिया है, और चांद का पहला वीडियो सामने आया है. हालांकि, यह वीडियो उस समय का है जब चंद्रयान-3 चांद पर धीरे-धीरे उतर रहा था. इस वीडियो को इसरो की ओर से शेयर किया गया है. वीडियो में दिखाई दे रहा है कि उतरते समय चांद किस तरह का दिखाई दे रहा था. बता दें, इसरो ने 2 मिनट से ज्यादा लंबा वीडियो जारी किया है.

चंद्रयान-3 वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए मील का पत्थर- पीएम मोदी

इधर, चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत का लोहा पूरी दुनिया मान रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता न केवल देश के लिए बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भी एक मील का पत्थर है. चंद्रयान-3 की सफलता पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की बधाई पर धन्यवाद देते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही. दरअसल, हैरिस ने एक्स पर कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक और ऐतिहासिक लैंडिंग के लिए भारत को बधाई. इस मिशन में शामिल सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए यह एक अविश्वसनीय उपलब्धि है. हमें इस मिशन और अंतरिक्ष खोज में आपके साथ व्यापक रूप से जुड़े रहने पर गर्व है. वहीं, पीएम मोदी ने एक्स पर कहा, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस आपकी हार्दिक बधाई के लिए धन्यवाद. चंद्रयान-3 की सफलता न सिर्फ भारत, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक मील का पत्थर है.

इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी चंद्रयान-3 की सफलता पर भारत को बधाई दी है. उन्होंने का हिक पीएम मोदी के साथ सार्थक बातचीत हुई. इस दौरान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की भारत की उल्लेखनीय उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी. पीएम मोदी ने कहा कि  यह भारत और वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि इजराइल की ओर से बधाई पाकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं. हम विशेष रूप से प्रौद्योगिकी और एआई में अपने द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने के लिए तत्पर हैं.

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग बनी दुनिया में सुर्खियां
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग को प्रमुख विदेशी मीडिया प्रतिष्ठानों ने एक अद्भुत उपलब्धि और भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक बड़ा क्षण बताया है. न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर बीबीसी और द गार्डियन से लेकर द वाशिंगटन पोस्ट तक ने चंद्रयान-3 का भरपूर कवरेज किया. भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की ऐतिहासिक घटना ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी हैं. मुख्यधारा के अमेरिकी समाचारपत्रों ने महान भारतीय उपलब्धि का उल्लेख किया है. वहीं, द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बावजूद पाकिस्तानी मीडिया व अखबारों ने गुरुवार को भारत के चंद्रयान की चंद्रमा पर ऐतिहासिक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ को पहले पन्ने पर जगह दी. वहीं, पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने इसे इसरो के लिए एक महान क्षण बताया है. जापानी दैनिक निकेई ने इसे ‘ऐतिहासिक छलांग’ बता कर मिशन की सराहना की. वहीं, ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक जीत है, जो भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति के रूप में प्रदर्शित कर रही है.

न्यूयॉर्क टाइम्स
चंद्रयान-3 मिशन ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना दिया है और इसने देश के घरेलू अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों में इजाफा किया है. यह शानदार उपलब्धि है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल
‘भारत चंद्रमा पर’ शीर्षक के साथ अखबार ने लिखा है कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा. यह मिशन अंतरिक्ष में वैश्विक महाशक्ति के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत कर सकता है.

सीएनएन
अखबार ने लिखा है कि अमेरिका और फ्रांस जैसे सहयोगियों के साथ काम करते हुए भारत उभरती हुई अंतरिक्ष शक्तियों की दूसरी लहर का हिस्सा है. देश का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के व्यस्त कार्यक्रमों में से एक है.

द टेलीग्राफ
अखबार की विज्ञान संपादक सारा नैप्टन ने लिखा कि भारत ने चंद्रमा पर संसाधनों की दौड़ में शुरुआती बंदूक चला दी है. रूस ने पिछले सप्ताह सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया था, जो विफल रहा.

द इंडिपेंडेंट
अखबार ने लिखा है कि भारत चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नयी वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में सफलता का दावा किया.

वाशिंगटन पोस्ट

अखबार के डिप्टी ओपिनियन एडिटर डेविड वॉन ड्रेहले ने लिखा है कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक शानदार उपलब्धि और भू-राजनीतिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतीक है.

बीबीसी

‘चंद्रयान-3 : भारत ने की दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग.’ शीर्षक से बीबीसी की विज्ञान संपादक रेबेका मोरेल ने लिखा है कि यह भारत के लिए बड़ा क्षण है. यह उसे अंतरिक्ष महाशक्ति की सूची में ऊपर उठाता है.

द गार्जियन
अखबार के विज्ञान संपादक इयान सैंपल ने ‘भारत का चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ के लिए बड़ा व्यवसाय है’ शीर्षक से लेख लिखा है. इसमें कहा है कि भारत चांद पर उतरने वाला चौथा देश है.

डॉयचे वेले
जर्मनी की सरकारी मीडिया ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और अंतरिक्ष कार्यक्रम में बड़ी लीग का हिस्सा बनने में सक्षम होने के लिए भारत की सराहना की. कहा कि भारतीयों के दिल की हसरत को टीम इसरो ने साकार किया.

द डॉन
पाकिस्तान के अखबार ने ‘चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतारने वाला भारत पहला देश बन गया है.’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की है. भारत के कम बजट वाले अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐतिहासिक जीत है.

गूगल ने विशेष डूडल बना कर मनाया जश्न
गूगल ने चंद्रयान-3 की सफलता को विशेष ‘डूडल’ के साथ मनाया. उसने ‘डूडल’ बना कर दक्षिणी ध्रुव पर पहली लैंडिंग की खुशी मनायी. इसमें गूगल के अंग्रेजी अक्षरों जी, ओ, ओ, जी, एल और ई को टिमटिमाते सितारों के बीच बाहरी अंतरिक्ष में तैरते दिखाया गया है. इसमें दूसरे
‘ओ’ को चांद का रूप दिया गया है.

सोनिया गांधी ने इसरो प्रमुख को पत्र लिख कर दी बधाई
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ को पत्र लिख कर चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए बधाई दी. कहा कि यह शानदार उपलब्धि सभी भारतवासियों के लिए गर्व का विषय है. बीते कई दशकों से इसरो की शानदार क्षमताओं का निर्माण हुआ है.

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इसरो के वैज्ञानिकों में कोई भी लखपति नहीं : नायर
चंद्रयान-3 की सफलता से प्रसन्न इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों की पगार विकसित देशों के वैज्ञानिकों के वेतन का पांचवां हिस्सा है. शायद यही कारण है कि वे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए किफायती तरीके तलाश सके. कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों में कोई भी लखपति नहीं है और वे बेहद सामान्य जीवन जीते हैं. हकीकत यह है कि वे धन की कोई परवाह भी नहीं करते, उनमें अपने मिशन को लेकर जुनून और प्रतिबद्धता होती है.

इस तरह हम ऊंचा मुकाम हासिल करते हैं. हम एक-एक कदम से सीखते हैं. जो हमने अतीत में सीखा है, हम अगले मिशन में उसका इस्तेमाल करते हैं. हमने करीब 30 वर्ष पहले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के लिए जो इंजन बनाया था, उसी का इस्तेमाल भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान में भी किया जाता है. उन्होंने कहा कि भारत अपने अंतरिक्ष अभियानों के लिए घरेलू तकनीक का उपयोग करता है. इससे उन्हें लागत को काफी कम करने में मदद मिली है.

भाषा इनपुट से साभार