Presidential Election 2022: वर्ष 2021 में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में मिली अपार सफलता से ममता बनर्जी के हौसले बुलंद हैं. वह केंद्र में अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) को कांग्रेस (INC) पार्टी के विकल्प के तौर पर स्थापित करना चाहतीं हैं. वह केंद्रीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ कांग्रेस का विकल्प बनना चाहती हैं. यही वजह है कि ममता बनर्जी राष्ट्रपति चुनाव 2022 (President Election 2022) से पहले विपक्ष को एकजुट करने के मिशन पर जुट गयीं. बैठक हुई, लेकिन राष्ट्रपति के नाम पर सहमति नहीं बन पायी.

शरद पवार ने सबसे पहले किया इंकार

ममता बनर्जी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार को विपक्ष का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन मराठा छत्रप ने इंकार कर दिया. ममता बनर्जी ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और गोपालकृष्ण गांधी के नाम का भी प्रस्ताव रखा. अब फारूक अब्दुल्ला ने भी विपक्ष के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने से इंकार कर दिया है. हालांकि, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने बैठक में ही स्पष्ट कर दिया था कि किसी और नाम पर विचार किया जाये.

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फारूक अब्दुल्ला ने वापस लिया अपना नाम

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर अपना नाम वापस लेता हूं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि जम्मू-कश्मीर नाजुक दौर से गुजर रहा है. ऐसे वक्त में जम्मू-कश्मीर की जनता की मदद करने के लिए यहां मेरा होना बेहद जरूरी है.

ममता की बैठक में शामिल हुए थे 17 दल

ममता बनर्जी ने दिल्ली में जो विपक्षी दलों की बैठक बुलायी थी, उसमें 17 पार्टियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. ममता बनर्जी के अलावा एनसीपी चीफ शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, भाकपा माले के दीपांकर भट्टाचार्य, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सिंह सुरजेवाला, सपा के अखिलेश यादव, आरएलडी से जयंत चौधरी, डीएमके से टीआर बालू व अन्य शामिल हुए थे.

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ममता की बैठक से दूर रही ये पार्टियां

ममता बनर्जी की इस अहम बैठक में दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) और तेलंगाना की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बहुजन समाज पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस के प्रतिनिधि बैठक से दूर रहे. ओड़िशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल ने भी इस बैठक से दूरी बनाये रखी. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का भी कोई प्रतिनिधि बैठक में शामिल नहीं हुआ.