मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, तीन तलाक का सहारा लेनेवाले मुसलमान का होगा सामाजिक बहिष्कार

नयी दिल्ली : आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि विवाह विच्छेद के लिए तीन तलाक का सहारा लेनेवाले मुसलमानों का सामाजिक बहिष्कार किया जायेगा और ‘काजियों’ को एक मशविरा जारी किया जायेगा कि वे दूल्हे से कहें कि वह तलाक के लिए इस स्वरूप का अनुसरण नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2017 7:07 PM
an image

नयी दिल्ली : आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि विवाह विच्छेद के लिए तीन तलाक का सहारा लेनेवाले मुसलमानों का सामाजिक बहिष्कार किया जायेगा और ‘काजियों’ को एक मशविरा जारी किया जायेगा कि वे दूल्हे से कहें कि वह तलाक के लिए इस स्वरूप का अनुसरण नहीं करेंगे.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को शरियत में अथवा इस्लामिक कानून में ‘अवांछनीय परंपरा’ करार दिया और कहा कि पति-पत्नी के बीच विवाद को परस्पर बातचीत के जरिये हल किया जाना चाहिए और इस संबंध में उसने शरियत के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए एक आचार संहिता भी जारी की है.

बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में कहा है कि तलाक देने के एक स्वरूप के रूप में तीन तलाक की परंपरा को हतोत्साहित करने के इरादे से फैसला किया गया है कि एक बार में तीन बार तलाक देने का रास्ता अपनानेवाले मुसलमानों का ‘सामाजिक बहिष्कार’ किया जाये और इस तरह के तलाक की घटनाओं को कम किया जाये.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हलफनामे में कहा है कि उसने 15-16 अप्रैल को अपनी कार्यसमिति की बैठक में तीन तलाक की परंपरा के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया है.

हलफनामे में यह भी कहा गया है, ‘‘तलाक के बारे में शरियत का रुख एकदम साफ है कि बगैर किसी वजह के तलाक देने की घोषणा करना और एक ही बार में तीन बार तलाक देना तलाक का सही तरीका नहीं है. बोर्ड ने कहा है कि उसने अपनी वेबसाइट, प्रकाशनों और सोशल मीडिया के माध्यम से काजियोें को यह मशविरा देने का निर्णय किया है कि निकाहनामा पर हस्ताक्षर करते समय दूल्हे से कहा कि वे मतभेद होने की स्थिति में एक ही बार में तीन तलाक देने का रास्ता नहीं अपनायेगा, क्योंकि शरियत में यह ‘अवांछनीय परंपरा’ है.

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षतावाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 18 मई को ही एक ही बार में तीन बार तलाक देने की संवैधानिक वैधता को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर केंद्र, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और आॅल इंडिया मुस्लिम वीमेन पर्सनल लॉ बोर्ड सहित विभिन्न पक्षों की दलीलों पर सुनवाई पूरी की थी. अब इस मामले में न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा है.

Exit mobile version