‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : सरकार ने आज कहा कि जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों के करीब 300 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरु हो गई है और पिछले साल की तुलना में इस अकादमिक सत्र में एमफिल तथा पीएचडी के लिए नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या अधिक होगी.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान बताया कि जेएनयू में अनुसूचित जाति, जनजाति और दिव्यांग श्रेणियों में प्राध्यापकों के पद पिछले कई साल से भरे नहीं गए थे. उन्होंने कहा ‘‘अब इन रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया और इसके लिए साक्षात्कार शुरु कर दिया गया है.
कुछ माह में प्राध्यापकों के करीब 300 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी. पिछले साल एमफिल तथा पीएचडी के लिए 970 छात्रों ने नामांकन कराया था लेकिन इस साल यह संख्या और अधिक रहेगी. इससे पहले जदयू के शरद यादव ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि दूरदराज के हिस्सों से, खास कर उत्तर भारत से बडी संख्या में छात्र पढने के लिए जेएनयू आते हैं. लेकिन पीएचडी और एमफिल के पाठ्यक्रमों में नामांकन की संख्या 970 से घटा कर 102 कर दी गई है जिससे छात्र निराश हैं.
सदस्यों द्वारा जावडेकर के बयान पर असंतोष जाहिर करने पर उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि मंत्री की बात पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है.गौरतलब है कि जेएनयू के छात्र विश्वविद्यालय में प्रवेश की नई नीति के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं. उन्होने एमफिल तथा पीएचडी पाठ्यक्रमों में सीटों में कटौती के विरोध में एक दिन की हडताल भी की थी.
पिछले माह विश्वविद्यालय ने अपना प्रॉस्पेक्टस जारी किया था जिसमे कहा गया था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देशों के अनुसार, विभिन्न पाठ्यक्रमों के एमफिल:पीएचडी प्रोग्राम में सीटों में कटौती की जा रही है. जेएनयू की नई प्रवेश नीति के विरोध में छात्रों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था जिसने छात्रों की याचिका खारिज कर दी थी.