हाथियों ने पश्चिम बंगाल में ली सबसे अधिक जान

नयी दिल्ली : पर्यावरण के लिहाज से जानवरों की मौजदूगी काफी अहम होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए 1992 में केंद्र सरकार ने हाथियों को बचाने और उनके कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए प्रोजेक्ट एलिफैंट योजना बनायी. कानून बनाने का मकसद मानव और जंगली जानवरों के बीच टकराव की स्थिति को दूर करना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2017 8:34 AM

नयी दिल्ली : पर्यावरण के लिहाज से जानवरों की मौजदूगी काफी अहम होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए 1992 में केंद्र सरकार ने हाथियों को बचाने और उनके कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए प्रोजेक्ट एलिफैंट योजना बनायी. कानून बनाने का मकसद मानव और जंगली जानवरों के बीच टकराव की स्थिति को दूर करना और जानवरों की रिहाइश के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाना रहा है. इस कानून के तहत फसलों के नुकसान के लिए मुआवजे के अलावा अगर किसी व्यक्ति की हाथियों द्वारा मौत पर दो लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान किया गया.

आंकड़ो के अनुसार, पश्चिम बंगाल में हाथियों के कारण सर्वाधिक मौतें होती हैं. आरटीआइ कार्यकर्ता सत्यप्रकाश के मुताबिक, 2011-12 में असम में 14, झारखंड में 4, कर्नाटक में 15, ओड़िशा में 23, पश्चिम बंगाल में 7 और देशभर में कुल 79 हाथी मारे गये, जबकि 2012-13 में असम में 23, झारखंड में 4, कर्नाटक में 14, ओड़िशा में 31, बंगाल में छह और देश में 100 हाथी मारे गये. वहीं 2013-14 में देश में कुल 79, 2015-16 में 68 हाथियों को जान गंवानी पड़ी. इसमें असम में 11, झारखंड में शून्य, बंगाल में 25, ओड़िशा में 17 हाथी मारे गये.

वर्ष 2015-16 में देश में 68 हाथियों को गंवानी पड़ी जान

2016-17 में केंद्र ने दिये 15.28 करोड़ मुआवजा

प्रोजेक्ट एलीफैंट योजना के तहत राज्यों को मिली राशि के आंकड़ों पर गौर करें, तो 2012-13 में केंद्र ने 17.96 करोड़ रुपये का आवंटन किया. वहीं, 2013-14 में आवंटन बढ़ कर 18.43 करोड़ रुपये हो गया. वर्ष 2015-16 में केंद्रीय आवंटन घट कर 11.35 करोड़ रुपये हो गया, जिसमें झारखंड को 53 लाख रुपये, केरल को 2.04 करोड़, कर्नाटक को 1.81 करोड़ रुपये, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल को 1.05 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ. वहीं, 2016-17 में यह आवंटन बढ़ कर 15.28 करोड़ रुपये हो गया, जिसमें झारखंड को 73.47 लाख, कर्नाटक को 2.54 करोड़ रुपये, ओड़िशा को 1.82 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल को 1.01 करोड़ रुपये और बिहार को 16 लाख रुपये का आवंटन किया गया.

पिछले साल मारे गये 413 लोग

वर्ष 2013-14 में हाथियों के कारण देशभर में 413 लोगों को जान गंवानी पड़ी. वहीं वर्ष 2014-15 में हाथियों के उत्पात से 392 लोग मारे गये, जिसमें असम में 54, झारखंड में 53, छत्तीसगढ़ में 32, कर्नाटक में 38, ओड़िशा में 64, तमिलनाडु में 31 और बंगाल में 89 लोग मारे गये. 2015-16 में देश में 413 लोग मारे गये, जिसमें असम में 92, झारखंड में 66, कर्नाटक में 26, ओड़िशा में 63 और बंगाल में 108 लोग मारे गये.

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