क्या, वाइब्रेंट गुजरात समिट से बदली थी नरेंद्र मोदी की छवि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात का गांधीनगर में आजउद्घाटन किया. यह हर दो साल पर आयोजित होता है और इस साल आठवीं बार इसका आयोजन हुआ है. यह वही समिट है, जिसने गुजरात और नरेंद्र मोदी की विकासवादी छवि को वैश्विक स्तर पर गढ़ने में मदद की. ज्ञात हो कि 2002 में गुजरात में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2017 4:39 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात का गांधीनगर में आजउद्घाटन किया. यह हर दो साल पर आयोजित होता है और इस साल आठवीं बार इसका आयोजन हुआ है. यह वही समिट है, जिसने गुजरात और नरेंद्र मोदी की विकासवादी छवि को वैश्विक स्तर पर गढ़ने में मदद की.

ज्ञात हो कि 2002 में गुजरात में भीषण दंगा हुआ था. उस संप्रदायिक हिंसा से गुजरात की छवि को भारी धक्का लगा था. तब नरेंद्र मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे. लिहाजा इसके छींटे उनके भी दामन पर पड़े. उसके अगले ही साल, 2003 में पहला ‘बाइव्रेंट गुजरात’ का आयोजन हुआ. इस आयोजन ने बिजनेस लीडर्स, निवेशकों, निगम प्रमुखों, अर्थशास्त्रियों, पॉलिसी मेकर को एक मंच प्रदान किया. शुरुआत में इसे राज्य में बिजनेस को बढ़ावा देने वाली समिट के रुप में देखा गया था, लेकिन इसने नरेंद्र मोदी की छवि बदलने मेें अहम भूमिका निभायी. इस समिट ने नरेंद्र मोदी को विकास के एजेंडे पर काम करने वाले मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित कर दिया.

आगे चलकर इस फेस्टिवल में वैश्विक नेता भी जुटने लगे. कई मल्टीनेशनल कंपनियों के सीइओ भी जुटने लगे. बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने 2003,2005,2007, 2009, 2011 और 2013 में बाइव्रेंट समिट का आयोजन किया. 2009 के वाइब्रेंट समिट में सुनिल भारती मित्तल और अनिल अंबानी सार्वजनिक रूप से कहा कि नरेंद्र मोदी को देश का अगला प्रधानमंत्री होना चाहिए.

उन्हीं दिनों बंगाल के सिंगुर मे टाटा कंपनी नैनो कार प्लांट लगाने की तैयारी कर रही थी, लेकिन सिंगुर में जमीन के अधिग्रहण को लेकर विवाद हो गया. गुजरात के तत्कालीन मुख्य़मंत्री नरेंद्र मोदी ने टाटा कंपनी को नैनो का प्लांट लगाने के लिए साणंद में जमीन का आवंटन किया. साणंद में मात्र 14 महीनों में नैनो का प्लांट बनकर तैयार हो गया.

गुजरात दंगों के बाद नरेंद्र मोदी को अमेरिका ने वीजा देने से इंकार कर दिया था. इस दौरान मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने चीन, जापान व दक्षिण कोरिया के साथ संबंधों पर जोर दिया. बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने एशियाई देशों के राष्ट्रप्रमुखों से अच्छे संबंध बनाये. इसका लाभ उन्हें मिला.

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