‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : नये साल के पहले सप्ताह में नोटबंदी के बाद पहली बार भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के दिग्गज आपस में बैठकर नोटबंदी की जमीनी हकीकत पर चर्चा कर सकेंगे. 4 और 5 जनवरी को अहमदाबाद में आयोजित एक बैठक में जोर शोर से नोटबंदी के फैसले पर पर चर्चा की उम्मीद है. साल में ऐसी तीन बैठकें आयोजित होती है जिनमें यह पहली बैठक होगी.
इस बैठक में मुख्य रूप से आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाहक सुरेश भैयाजी जोशी सहित आरएसएस के और वरिष्ठ प्रचार शामिल हो सकते हैं. वहीं भाजपा के वरिष्ठ महासचिव रामलाल और राममाधव भी इस बैठक में मौजूद रहेंगे. भाजपा की भी इसी हफ्ते 6 और 7 जनवरी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में आयोजित है.
संघ परिवार को प्रमुख सूत्रों की मानें तो इस बैठक में नोटबंदी के फैसले की जमीनी असर पर विशेष चर्चा होगी. साथ ही नये साल की रणनीतियों पर विचार किया जायेगा. बैठक में आएसएस के सहयोगी संगठन भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ और स्वदेशी जागरण मंच के परिष्ठ पदधारी भी मौजूद होंगे. बैठक में नोटबंदी के साथ-साथ आरक्षण के मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है.
संघ प्रमुख का कहना है वे गुजरात दौरे पर हैं और पहले भी कई बार अनाधिकृत रूप से कई बार कइ मुद्दों पर चर्चाएं हुई है. यह पहली बार सुनियोजित बैठक है जिसमें कई चर्चाएं होंगी. उधर नोटबंदी के बाद भाजपा कार्यकारिणी की भी पहली बैठक होगी, जिसमें नोटबंदी को मुख्य मुद्दा माना जा रहा है.