”सर्जिकल स्ट्राइक” में माहिर हैं नए आर्मी चीफ बिपिन रावत, पढें नगा आतंकियों को कैसे सिखाया था सबक

नयी दिल्ली : लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत पहले भी चर्चे में रह चुके हैं. ‘जी हां’ वो भी अपनी बहादुरी के कारण… दरसअल, पिछले साल म्यांमार में नगा आतंकियों के खिलाफ की गई सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही वे पीएम मोदी की नजर में आ गए थे. प्राप्त जानकारी के अनुसार पाक अधिकृत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2016 9:43 AM
an image

नयी दिल्ली : लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत पहले भी चर्चे में रह चुके हैं. ‘जी हां’ वो भी अपनी बहादुरी के कारण… दरसअल, पिछले साल म्यांमार में नगा आतंकियों के खिलाफ की गई सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही वे पीएम मोदी की नजर में आ गए थे. प्राप्त जानकारी के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर में उरी हमले के बाद किए गए सर्जिकल स्टाइक में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है.

चीन, पाकिस्तान सीमा के अलावा रावत को पूर्वोत्तर में घुसपैठ रोधी अभियानों में करीब एक दशक तक कार्य करने का अनुभव प्राप्त है. पिछले साल जून में जब मणिपुर में नगा आतंकियों ने 18 भारतीय सैनिकों को मारा था तो तीन दिन के भीतर ही रावत के नेतृत्व में म्यांमार में घुसकर नगा आतंकी शिविरों को नष्ट किया गया था. भारत की इस जवाबी कार्रवाई में 38 नगा आतंकी मारे गए थे. इस सर्जिकल स्ट्राइक को पूरे देश ने सराहा था. सर्जिकल स्ट्राइक का सुझाव रावत ने दिया था जिसकी मंजूरी पीएम मोदी ने दी थी. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की देखरेख में यह पहली सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी.

पाकिस्तान और चीन बॉर्डर की अच्छी समझ है रवत को

बिपिन रावत साल 1978 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे. अपने लंबे करियर में उन्होंने पाकिस्तान सीमा के साथ-साथ चीन सीमा पर भी लंबे समय तक समय बिताया है. इस अनुभव के कारण वे नियंत्रण रेखा की चुनौतियों की गहरी समझ रखते हैं. इतना ही नहीं चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा के हर खतरे से वे अच्छी तरह वाकिफ हैं. इसलिए ऐसा समझा जा रहा है कि वे दोनों सीमाओं की चुनौतियों से निपटने में सक्षम रहेंगे.

पीओके सर्जिकल स्ट्राइक

उरी हमले के बाद 28 सितंबर की रात जब पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की गई तब भी पर्दे के पीछे कमान रावत के हाथ में थी. उस वक्त तक वे उप सेना प्रमुख की कमान संभाल चुके थे. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के निर्देशन में उन्होंने म्यांमार स्ट्राइक का अनुभव लेते हुए एक और सफल सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देकर अपनी सूझ-बूझ को साबित कर दिया था. तभी उनके सेना प्रमुख बनने की राह और साफ हो गई थी.

Exit mobile version