पीएम मोदी की आंखे हुई नम, कंधे पर सिर रखकर रोए पनीरसेल्वम
चेन्नई: जिंदगी और मौत की जंग लड़ते हुए आखिरकार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री व एआइडीएमके प्रमुख जे जयललिता ने सोमवार की रात दम तोड़ दिया. उन्होंने रात 11:30 बजे अंतिम सांस ली. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनको श्रद्धांजलि देने राजाजी हॉल पहुंचे जहां उनकी आंखे नम हो गई. सूबे के मुख्यमंत्री ओपी पनीरसेल्वम ने पीएम मोदी […]
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चेन्नई: जिंदगी और मौत की जंग लड़ते हुए आखिरकार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री व एआइडीएमके प्रमुख जे जयललिता ने सोमवार की रात दम तोड़ दिया. उन्होंने रात 11:30 बजे अंतिम सांस ली. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनको श्रद्धांजलि देने राजाजी हॉल पहुंचे जहां उनकी आंखे नम हो गई. सूबे के मुख्यमंत्री ओपी पनीरसेल्वम ने पीएम मोदी से यहां मुलाकात की. पनीरसेल्वम पीएम मोदी के कंधे पर सिर रखकर रोते देखे गए.
आपको बता दें कि जयललिता के निधन की आधिकारिक पुष्टि किये जाने के थोड़ी देर बाद अन्नाद्रमुक विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें कैबिनेट मंत्री ओपी पनीरसेल्वम को नया नेता और पार्टी का महासचिव चुना गया. उन्होंने 15 मंत्रियों के साथ शपथ ली. तमिलनाडु के वित्तमंत्री पनीरसेल्लवम पिछले 75 दिनों से कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कामकाज देख रहे थे. इसके पहले सोमवार को दिन में भी अपोलो अस्पताल में ही विधायकों को बुलाया गया और उनसे पनीरसेल्वम के प्रति समर्थन के लिए हस्ताक्षर कराये गये. पहले भी जयललिता ने अपनी गैरमौजूदगी के दौरान भरोसा जताते हुए उन्हें दो बार मुख्यमंत्री बनाया था. 2014 में वह तब मुख्यमंत्री बने थे, जब जयललिता को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि बाद में वह बरी हो गयीं.
इस बार भी जयललिता की अस्पताल में मौजूदगी के दौरान जयललिता के आठ विभागों का प्रभार पन्नीरसेल्वम को दिया गया. पनीरसेल्वम जयललिता के प्रति वफादारी दिखाते रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद जयललिता को दंडवत प्रणाम करने की तसवीरें सुर्खियां बटोरती रही हैं. वह जयललिता की तस्वीर को सामने रखकर कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता करते रहे थे. जयललिता की भी इच्छा थी कि उनका उत्तराधिकारी ऐसा शख्स हो जिसमें लोगों को अपनी ओर खींचने की क्षमता व मजबूत नेतृत्व हो.
पनीरसेल्लवम पर जयललिता पूरी तरह भरोसा करतीं थीं. पनीरसेल्लवम ने भी उनके विश्वास को कभी तोड़ने की कोशिश नहीं की. राज्य से संबंधित किसी भी कार्य को करने के पहले पनीरसेल्लवम जयललिता से विचार विमर्श करते थे.