‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस को सख्ती से ‘‘तमाम राजनीतिक अवरोधों’ से निकलकर जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद की तलाश करने को कहते हुए कहा कि उसके लापता होने में ‘‘कुछ और’ हो सकता है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी के बीचो बीच से कोई इस तरह ओझल नहीं हो सकता.
पिछले 45 दिनों से लापता छात्र के बारे में अब तक पता नहीं लगने पर चिंता प्रकट करते हुए अदालत ने कुछ सवाल भी उठाए कि नजीब और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कुछ सदस्यों के बीच कैंपस में कथित झगडा क्यों हुआ और नजीब को चोट आयी थी, दिल्ली पुलिस की स्थिति रिपोर्ट में इसका जिक्र क्यों नहीं किया गया. न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कहा कि अगर एक आदमी राष्ट्रीय राजधानी से लापता हो जाए और अब तक उसका पता नहीं हो तो इससे लोगों में ‘‘असुरक्षा का भाव’ पैदा होता है. पुलिस से सारे कोणों को खंगालने को कहा गया.
उन्होंने पुलिस से कहा, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी, यह भारत का दिल है. यहां से कोई ऐसे लापता नहीं हो सकता. इससे लोगों में असुरक्षा का बोध पैदा होता है. अगर वह लापता हुआ तो उसमें कुछ है. सभी कोणों को खंगाला जाना चाहिए. किसी के भूमिगत होने के लिए 45 दिन लंबी अवधि है. ‘
पीठ ने पुलिस से यह कहा जिसकी राय है कि नजीब ‘‘बलपूर्वक अगवा’ नहीं हुआ. दिल्ली पुलिस की प्रगति रिपोर्ट पर गौर करते हुए अदालत ने पूछा कि अगर नजीब को जो चोट आयी वह नहीं दिख रहा था तो एंबुलेंस में उसे अस्पताल क्यों ले जाया गया क्योंकि यह तथ्य पुलिस रिपोर्ट से गायब है.