‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
भुवनेश्नर: सम अस्पताल में सोमवार शाम को अचानक लगी आग में मृतकों की संख्या बढकर 21 हो गई है. इस आग की चपेट में आकर लगभग 105 मरीज गंभीर रूप से जख्मी भी हुए हैं जिन्हें विभिन्न अस्पतालों में भरती कराया गया है. इधर, एनएचआरीस ने भुवनेश्वर के अस्पताल में लगी आग की घटना पर ओडिशा सरकार को नोटिस भेजा है जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आज अस्पताल का दौरा किया.
भुवनेश्वर के अस्पताल पहुंचे नड्डा ने कहा कि पहली नजर में यह सेफ्टी का मामला लग रहा है जिस पर काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मैं यहां आरोप-प्रत्यारोप के लिए नहीं पहुंचा हूं. हमारी प्राथमिकता रोगियों को उचित उपचार प्रदान करना है जो दो दिन पहले अस्पताल में आग की घटना में घायल हो गये. हादसे में झुलस गये रोगियों के बेहतर उपचार के लिए केंद्र सरकार कदम उठाएगी. राज्य सरकार ने अग्निकांड में जांच के लिए समितियों का गठन किया है.
इस मामले में पुलिस ने अस्पताल के सुप्रीटेंडेंट के साथ तीन और लोगों को हिरासत में लिया है जिसमें से एक फायर सेफ्टी अधिकारी भी शामिल है. इनसब पर गैर इरादतन हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. इनसब के अलावा आग सेवा विभाग की तरफ से भी अस्पताल के खिलाफ एक एफआइआर दर्ज करवाया गया है जिसमें शिकायत की गई है कि 2013 में उन्होंने फायर सेफ्टी ऑडिट के दौरान कुछ सिफारिशें की थी जिन्हें अस्पताल प्रशासन की ओर से नहीं माना गया.
पुलिस ने मंगलवार को अस्पताल के सुप्रीटेंडेंट पुष्पराज सामंत, सेफ्टी ऑफिसर संतोष दास, इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस इंजीनियर अमूल्य साहू और जूनियर इंजीनियर माल्या साहू को गिरफ्तार किया है.
इस संबंध में आज अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने खबर छापी है जिसमें उसने बताया है कि दो महीने पहले ही अस्पताल की मान्यता रद्द हो चुकी थी जिसके बावजूद अस्पताल चलाया जा रहा था. मान्यता अस्पताल और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएच) द्वारा प्रदान की जाती है. जानकारी के मुताबिक, अस्पताल की मान्यता वहां की गुणवत्ता मानकों की कमी और आग से निपटने की व्यवस्था के लिए उपायों को लेकर ही रद्द कर दी गई थी.
एनएबीएच के सूत्रों का हवाला देते हुए इंडियन एक्सप्रेस ने छापा है कि अस्पताल के निरिक्षण के दौरान पता लगा था कि अस्पताल ने अपना फायर नो ओबजेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) 2013 से रिन्यू ही नहीं करवाया था, इतना ही नहीं आग से निपटने के लिए वहां उपस्थित स्टाफ की तैयारी पूरी नहीं थी. अस्पताल को उसका पहला एनएबीएच सर्टिफिकेट जून 2013 में मिला था.
गौरतलब है कि अस्पताल में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई गई थी. आग लगने के बाद पूरे अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई थी. कुछ मरीजों की मौत दम घुटने की वजह से हुई थी जबकि कई मरीज आग की चपेट में आकर गंभीर रुप से जख्मी हो गए थे. घटना के बाद जिला प्रशासन को जांच के आदेश दिए जा चुके हैं.