गुजरात : दलितों का प्रदर्शन, कई लोगों ने की आत्महत्या की कोशिश, सीआईडी जांच का आदेश
राजकोट : 11 जुलाई को उना में चमड़ा उतारने के मामले में कुछ दलित युवकों को बेरहमी से पीटे जाने का मामला अब और अधिक गरमा गया है. इस मामले को लेकर दलितों से सोमवार को जोरदार प्रदर्शन किया, जबकि कई जगहों पर दलितों ने आत्महत्या का भी प्रयास किया. कथित गोहत्या के आरोप में […]
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राजकोट : 11 जुलाई को उना में चमड़ा उतारने के मामले में कुछ दलित युवकों को बेरहमी से पीटे जाने का मामला अब और अधिक गरमा गया है. इस मामले को लेकर दलितों से सोमवार को जोरदार प्रदर्शन किया, जबकि कई जगहों पर दलितों ने आत्महत्या का भी प्रयास किया. कथित गोहत्या के आरोप में अपने समुदाय के युवकों की बेरहमी से पिटाई के विरोध में दलित युवकों ने राजकोट में दो जगहों पर आत्महत्या का प्रयास किया. इसबीच, मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने दलित समुदाय के सदस्यों की कथित पिटाई की घटना का सीआईडी जांच का आज आदेश दिया. साथ ही, उन्होंने मामले की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत गठित किए जाने की भी घोषणा की.
मुख्यमंत्री के आदेशों का जिक्र करते हुए एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है, ‘उना दलित पिटाई मामले को सीआईडी (अपराध) को सौंप दिया गया है. मामले की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत का भी गठन किया जाएगा. पटेल ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए एक विशेष सरकारी वकील नियुक्त किए जाने का भी आदेश दिया जिन्हें 60 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाखिल करना होगा. इसके अलावा पटेल ने घोषणा की कि राज्य सरकार इस घटना में घायल दलित युवकों का सारा चिकित्सा खर्च उठाएगी. इन लोगों का उना, जूनागढ और राजकोट के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में इलाज चल रहा है. इसके अलावा राज्य सरकार ने पीडितों को मुआवजा के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने की भी घोषणा की है.
पांच दलित युवकों ने की आत्महत्या की कोशिश
जिले के गोंडल में पांच दलित युवक – राजेश परमार, रमेश परधी, जगदीश राठौर, भरत सोलंगी और अनिल मघड ने नगर के बाजार इलाके में डा. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के पास जहर पी कर आत्महत्या करने की कोशिश की. उधर, जिले के जमकानडोरना में किशोर सोलंकी (30) और अमृत परमार (25) ने खुदकुशी करने की कोशिश की. इन सभी सात दलित युवकों का इलाज गोंडल के एक अस्पताल में किया जा रहा है. पुलिस निरीक्षक विजय चौधरी ने बताया कि गोंडल में खुदकुशी की कोशिश करने वाले पांचों दलित युवकों ने पहले ही आगाह कर दिया था कि वे ऐसा कदम उठा सकते हैं. उन्हें इससे रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त किया गया था, लेकिन वे कोई जहरीला पदार्थ लेने में कामयाब रहे. पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘वे गिर सोमनाथ जिले के उना शहर में दलित युवकों पर बर्बर हमले का विरोध कर रहे थे.’
नौ लोगों को लिया गया हिरासत में
इस बीच, गिर सोमनाथ के पुलिस उपाधीक्षक केएम जोशी ने बताया कि उना में दलित युवकों पर बर्बर हमले के सिलसिले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जोशी ने बताया कि इस मामले में पुलिस निरीक्षक एनयू जाला और तीन कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है. उना में कथित रूप से गाय की हत्या करने का आरोप लगा कर दलित युवकों को सडकों पर घुमाया गया था और उनपर कोडे बरसाए गए. इस घटना के वीडियो के वायरल होने के बाद इस घटना की राष्ट्रव्यापी निंदा की गई. उत्पीडन का शिकार हुए दलितों का कहना था कि वे एक मरी हुई गाय का चमडा निकाल रहे थे और उन्होंने गाय नहीं मारी थी. उधर, सुरेन्द्रनगर में सैकडों दलितों ने एक-एक मृत गाय के साथ जिला कलक्टर के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया. उन्होंने उना कांड के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कलक्टर को एक ज्ञापन सौंपा.
पीडि़तोंकोहर प्रकार की सहायता दी जायेगी : आनंदीबेन
मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने एक ट्वीटर संदेश में आश्वासन दिया कि उनकी सरकार दलितों की रक्षा के प्रति वचनबद्ध है. आनंदीबेन ने ट्वीटर संदेश में कहा, ‘हम पीडितों को हर सहायता देना जारी रखेंगे. गुजरात सरकार समाज के कमजोर तबकों की सुरक्षा और विकास के प्रति वचनबद्ध है.’ मुख्यमंत्री ने बताया कि एक मंत्री और एक संसदीय सचिव ने घटनास्थल का दौरा किया और पीडितों के लिए एक लाख रुपये का मुआवजा आबंटित किया गया है. इसके साथ ही एक पुलिस निरीक्षक और तीन कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है.
दलित विरोधी है भाजपा : मायावती
सोमवार को शुरू हुए राज्यसभा के मॉनसून सत्र में बोलते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया था. राज्यसभा में मायावती ने गुजरात के एक मामले को उठाते हुए मोदी सरकार पर हमला किया और कहा कि इस सरकार के आने से दलितों पर अत्याचार बढ़ा है. उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा सरकार के आने से दलितों के खिलाफ उत्पीड़न बढें हैं. पार्टी का नाम लेने पर भाजपा सांसद ने आपत्ति जताई. मायावती के केंद्र सरकार पर हमले के बाद कुछ सांसद वेल में पहुंचकर ‘देश विरोधी यह सरकार नहीं चलेगी’ के नारे लगाने लगे जबकि लेफ्ट सांसद सीताराम येचुरी ने महंगाई पर सदन में चर्चा की मांग की.