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कोयला घोटाला: उच्चतम न्यायालय की समिति ने सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा को दोषारोपित किया

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नयी दिल्ली : सीबीआई के निदेशक रहे रंजीत सिन्हा की ओर से कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच में अडंगे लगाने के आरोपों की छानबीन के लिए शीर्ष न्यायालय की ओर से गठित एम एल शर्मा समिति ने सिन्हा को दोषारोपित किया है और कहा है कि इस मामले में प्रथम दृष्टया जांच को प्रभावित […]

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नयी दिल्ली : सीबीआई के निदेशक रहे रंजीत सिन्हा की ओर से कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच में अडंगे लगाने के आरोपों की छानबीन के लिए शीर्ष न्यायालय की ओर से गठित एम एल शर्मा समिति ने सिन्हा को दोषारोपित किया है और कहा है कि इस मामले में प्रथम दृष्टया जांच को प्रभावित करने की कोशिश की गई. न्यायालय ने संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए कोयला घोटाले की धीमी जांच के लिए सीबीआई की भी खिंचाई की और मामले की जांच जल्द से जल्द करने के निर्देश दिए.

‘कोलगेट’ के नाम से चर्चित हुए इस घोटाले की जांच की निगरानी कर रहे उच्चतम न्यायालय को आज अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक एम एल शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि घोटाले के कुछ हाई-प्रोफाइल आरोपियों से सिन्हा की मुलाकातें प्रथम दृष्टया इस बात की ओर इशारा करती हैं कि छानबीन को प्रभावित करने की कोशिश की गई.
गोपनीयता बनाए रखने की शर्त पर अध्ययन के लिए समिति की अंतिम रिपोर्ट हासिल करने वाले रोहतगी ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट का अध्ययन किया है, जिसमें पाया गया है कि सिन्हा के आवास की विजिटर डायरी सही थी. बहरहाल, उन्होंने कहा कि विजिटर डायरी की प्रविष्टियों की प्रामाणिकता सबूतों के जरिए अदालत में ही पता लगाई जा सकती है.
रोहतगी ने कहा, ‘‘जब तक अदालत में इस बात के सबूत न पेश हों कि विजिटर रजिस्टर सही था, तब तक हम मामले में आगे नहीं बढ सकते.” सिन्हा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रजिस्टर या डायरी की प्रविष्टियां संदेहास्पद या काल्पनिक थीं, क्योंकि सीबीआई के पूर्व निदेशक उन दिनों कई दिन तक दिल्ली में नहीं थे.
सिंह ने कहा, ‘‘ऐसा एक भी मामला नहीं है जिसमें मैंने :सिन्हा ने: कोयला से जुडे मामलों को बंद करने में जांच अधिकारियों के उलट कोई फैसला किया हो.” इन दलीलों पर गौर करते हुए न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की पीठ ने निर्देश पारित करने के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. जांच में धीमी प्रगति के लिए सीबीआई की खिंचाई करते हुए न्यायालय ने कहा, ‘‘हम आपको (सीबीआई को) बार-बार कहते रहे हैं कि जांच पूरी करें. हर बार आप कहते हैं कि एक महीने के भीतर पूरी कर लेंगे.
पिछली बार आपने कहा था कि आप 30 जून तक जांच पूरी कर लेंगे. लेकिन अब तक आपने ऐसा नहीं किया. कृपया इसे जल्द से जल्द पूरा करें.” सुनवाई के दौरान एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ की तरफ से पेश हुए जानेमाने वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि समिति के मुताबिक रंजीत सिन्हा की विजिटर डायरी सही पाई गई है और यह साफ है कि उन्होंने कोयला घोटाले के कई आरोपियों से मुलाकात की, जिसने उनके फैसलों को प्रभावित किया.

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