18 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा मानसून सत्र, सरकार का होगा जीएसटी बिल पर जोर

नयी दिल्ली : सीसीपीए ने मानसून सत्र 18 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित करने की सिफारिश की है. इस संबंध में कैबिनेट की बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री वैंकया नायडु ने कहा कि कैबिनेट कमिटी ने संसद के मॉनसून सत्र को 18 जुलाई से 12 अगस्त तक चलाए जाने की सिफारिश की है. यदि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2016 12:47 PM
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नयी दिल्ली : सीसीपीए ने मानसून सत्र 18 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित करने की सिफारिश की है. इस संबंध में कैबिनेट की बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री वैंकया नायडु ने कहा कि कैबिनेट कमिटी ने संसद के मॉनसून सत्र को 18 जुलाई से 12 अगस्त तक चलाए जाने की सिफारिश की है. यदि जरुरत पड़ी तो सत्र को दो से तीन दिन तक बढाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि हम मॉनसून सत्र में जीएसटी बिल को पारित कराए जाने के पक्ष में हैं, हम सभी दलों से बात करेंगे अगर व्यक्तिगत रूप से बातचीत की जरूरत पड़े तो वह भी करेंगे. हम जीएसटी पर कांग्रेस सहित सभी पार्टियों से बात कर रहे हैं, हम उनसे बात करना जारी रखेंगे. गौरतलब है कि राज्यसभा में 45 विधेयक लंबित हैं, जबकि लोकसभा में पांच विधेयक लंबित हैं.

राज्यसभा में लंबित विधेयकों में विवादास्पद संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, 2015 जिसे जीएसटी विधेयक के तौर पर भी जाना जाता है, वह भी शामिल है. इस विधेयक को लोकसभा में पिछले साल पारित किया गया था जिसके बाद राज्यसभा में भेजा गया था. सरकार इस सत्र में जीएसटी विधेयक के पारित होने की उम्मीद जता रही है. सरकार को जीएसटी विधेयक के पास होने की उम्मीद इसलिए है क्योंकि इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि कई क्षेत्रीय दलों ने इस मुद्दे पर कांग्रेस से हाथ खींच लिया है और वे इस महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार को अपना समर्थन देने की इच्छा जता चुके हैं. जीएसटी के अलावा अन्य महत्वपूर्ण विधेयक व्हिसल ब्लोअर्स प्रोटेक्शन (संशोधन) विधेयक, 2015 है जिसे पिछले साल दिसंबर में आगे बढ़ाया गया, लेकिन इस पर चर्चा किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी.

लोकसभा में लंबित महत्वपूर्ण विधेयकों में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2015 और बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन विधेयक, 2015 शामिल हैं. सरकार एनेमी प्रापर्टी एक्ट में संशोधन के लिए एक अध्यादेश की जगह विधेयक को मंजूरी दिलाने की भी कोशिश करेगी साथ ही वह राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) पर अध्यादेश की जगह एक विधेयक पर भी जोर देगी.

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