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एनएसजी : चीन को मनाने सोल जा सकते हैं विदेश सचिव जयशंकर

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नयी दिल्ली: विदेश सचिव एस जयशंकर आगामी 23-24 जून को होने वाली परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की पूर्ण बैठक में 48 सदस्यीय समूह में भारत के सदस्यता हासिल करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए सोल जा सकते हैं. सरकारी सूत्रों के अनुसार विदेश सचिव ‘बेहद करीब’ से हालात पर नजर रखे हुए हैं […]

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नयी दिल्ली: विदेश सचिव एस जयशंकर आगामी 23-24 जून को होने वाली परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की पूर्ण बैठक में 48 सदस्यीय समूह में भारत के सदस्यता हासिल करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए सोल जा सकते हैं. सरकारी सूत्रों के अनुसार विदेश सचिव ‘बेहद करीब’ से हालात पर नजर रखे हुए हैं और दक्षिण कोरिया की राजधानी में गुरुवार और शुक्रवार को होने वाली पूर्ण बैठक से पहले एनएसजी की आधिकारिक स्तर की बैठक से मिलने वाली ‘प्रतिक्रिया’ के बाद ‘आखिरी धक्का’ देने के लिए सोल जा सकते हैं.

एनएसजी की आधिकारिक स्तर की बैठक कल शुरू हुई. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश का विरोध करने वालों की अगुवाई चीन कर रहा है. भारत समर्थन पाने के लिए देशों से संपर्क करने के लिए कूटनीतिक सक्रियता दिखा रहा है.सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी अमनदीप सिंह गिल पहले ही समर्थन जुटाने और भारत के पक्ष को स्पष्ट करने के लिए सोल में हैं.
गिल विदेश मंत्रालय में ‘निरस्त्रीकरण एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा’ डिवीजन के प्रभारी हैं.एनएसजी प्लेनरी की मुख्य बैठक 24 जून को होगी. यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताशकंद रवाना होने के एक दिन बाद होगी. उस शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी हिस्सा लेंगे.मोदी एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर चिनफिंग से मिल सकते हैं और भारत की एनएसजी सदस्यता का मुद्दा उठा सकते हैं लेकिन क्या यह चर्चा एनएसजी में भारत की सदस्यता का रास्ता साफ करेगी यह विचारणीय बिंदु है.
चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध इस आधार पर कर रहा है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है. हालांकि, चीन का कहना है कि अगर भारत को एनएसजी की सदस्यता दी जाती है तो उसके करीबी सहयोगी पाकिस्तान को भी सदस्यता दी जाए. पाकिस्तान भी एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों में शामिल है.भारत ने फ्रांस का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया है कि एनएसजी में शामिल होने के लिए एनपीटी हस्ताक्षरकर्ता होना अनिवार्य नहीं है. भारत इसलिए एनएसजी की सदस्यता की मांग कर रहा है ताकि वह परमाणु प्रौद्योगिकी के आयात-निर्यात में सक्षम हो सके.
एनएसजी सदस्यता से उर्जा की किल्लत का सामना कर रहे भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलने की उम्मीद है.
भारत ने महत्वाकांक्षी उर्जा उत्पादन कार्यक्रम तैयार कर रखा है. भारत ने 2030 तक 63 हजार मेगावाट परमाणु उर्जा के उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. एनएसजी परमाणु प्रौद्योगिकी के वैश्विक कारोबार का नियमन करता है.एनएसजी परमाणु क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को देखता है और इसके सदस्यों को परमाणु प्रौद्योगिकी के कारोबार और निर्यात की अनुमति है. इस समूह की सदस्यता से भारत को अपने परमाणु उर्जा क्षेत्र का विस्तार करने में काफी मदद मिलेगी.

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