राज्यसभा चुनाव : झारखंड- हरियाणा में भाजपा का शानदार प्रदर्शन, जानिये कौन कहां से जीता

नयी दिल्ली / लखनऊ : देश के सात राज्यों में 27 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. उत्तर प्रदेश में सबसे चर्चित मुकाबले में कांग्रेस के कपिल सिब्बल विजयी हो गये हैं जबकि निर्दलीय प्रीति महापात्रा हार गयी हैं प्रीति महापात्रा एक औद्योगिक परिवार से आती हैं और उन्हें कुछ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2016 10:06 AM
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नयी दिल्ली / लखनऊ : देश के सात राज्यों में 27 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. उत्तर प्रदेश में सबसे चर्चित मुकाबले में कांग्रेस के कपिल सिब्बल विजयी हो गये हैं जबकि निर्दलीय प्रीति महापात्रा हार गयी हैं प्रीति महापात्रा एक औद्योगिक परिवार से आती हैं और उन्हें कुछ निर्दलीय सहित भाजपा का भी समर्थन हासिल था. यूपी में सात सीटों पर समाजवादी पार्टी, दो सीटों पर बसपा, एक सीट पर भाजपा और एक सीट पर कांग्रेस ने कब्जा किया है. सपा से अमर सिंह ,बेनी प्रसाद वर्मा जैसे दिग्गज राज्यसभा पहुंच गये हैं.

वहीं राजस्थान से भाजपा के सभी चार उम्मीदवार जीते हैं. जिसमें वेंकैया नायडू व ओम प्रकाश माथुर जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं. उधर झारखंड में कांटे की टक्कर के बीच दोनों सीटों पर भाजपा ने कब्जा कर लिया है. यहां केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार ने जीत हासिल की है जबकि झामुमो के बसंत सोरेन को हार का सामना करना पड़ा है. बसंत झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के बेटे हैं.

ऐसा था सात राज्यों की 27 सीटों पर राज्यसभा का मुकाबला

सात राज्यों से राज्यसभा की सीटों के लिए आज होने वाले चुनाव में कुछ सीटों पर मुकाबला रोचक थे और खासतौर पर उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा की कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर थी जहां वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल और वरिष्ठ वकील आर के आनंद समेत कई जानेमाने उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होना था . मौजूदा चरण की कुल 57 राज्यसभा सीटों में से 30 पर तो फैसला बिना मतदान के हो चुका था , लेकिन बाकी 27 पर फैसला आज के चुनाव में होगा जहां कुछ राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर हुई .

कर्नाटक में जेडीएस और निर्दलीय विधायकों को रिश्वत देने के आरोपों से चुनावों पर असर पडा लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें रद्द करने की मांगों को खारिज कर दिया. सारी नजरें उत्तर प्रदेश पर थी , जहां 11 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस नेता सिब्बल और भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्र के बीच रोचक मुकाबला हुआ और अंतत: सिब्बल ने जीत हासिल कर ली. सिब्बल को बसपा के समर्थन की जरुरत पड़ी जिसके पास 12 वोट थे और जो उसके खुद के उम्मीदवारों सतीश चंद्र मिश्रा और अशोक सिद्धार्थ के सफल होने के लिए जरुरी वोटों से ज्यादा थे.

कपिल सिब्बल जीते प्रीति माहापात्र हारीं

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों के लिए आज हुए द्विवार्षिक चुनाव में क्रासवोटिंग के बावजूद सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रहे मगर कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल को भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति महापात्र के मुकाबले थोडा संघर्ष करना पडा.

उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने वालों में सत्तारुढ समाजवादी पार्टी के अमर सिंह, बेनीप्रसाद वर्मा, कुंवर रेवतीरमण सिंह, विशम्भर प्रसाद निषाद, सुखराम यादव, संजय सेठ और सुरेन्द्र नागर शामिल हैं. बसपा के सतीश मिश्र और अशोक सिद्धार्थ, भाजपा के शिवप्रताप शुक्ल और कांग्रेस के कपिल सिब्बल भी राज्यसभा के लिए चुन लिए गये हैं.आज के मतदान में खास बात यह रही कि सभी दलों में क्रासवोटिंग हुई, मगर बसपा ने सभी दलों से दूरी बनाये रखते हुए अपने अतिरिक्त वोटों को किसी भी उम्मीदवार के समर्थन में नहीं दिया.

हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार सिब्बल चुनाव जीतने में तो कामयाब रहे, मगर विधानसभा में 29 सदस्यों वाली पार्टी को सबसे अधिक क्रासवोटिंग की मार झेलनी पडी और सिब्बल को प्रथम वरीयता के केवल 25 वोट मिले बावजूद इसके कि आठ सदस्यीय राष्ट्रीय लोकदल ने सपा और कांग्रेस को चार-चार विधायकों के समर्थन का ऐलान पहले ही कर दिया था.

राज्यसभा की 11 सीटों पर हुए चुनाव में 12 प्रत्याशी मैदान में थे. हर प्रत्याशी को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 34 वोटों की जरुरत थी. राज्य विधानसभा के 403 सदस्यों में से सपा के 229, बसपा के 80, भाजपा के 41, कांग्रेस के 29, रालोद के आठ विधायक हैं. पीस पार्टी के चार, कौमी एकता दल के दो, राकांपा का एक, इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल का एक, अपना दल का एक और तृणमूल कांग्रेस का एक विधायक है. छह विधायक निर्दलीय हैं. मतदान में क्रास वोटिंग हुई . सपा के सातवें उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के नौ वोट कम पड रहे थे हालांकि वह जीतने में सफल रहे. प्रथम दौर की मतगणना में सपा के केवल तीन प्रत्याशी ही जीत सके.

बसपा ने अपने 12 अतिरिक्त वोट किसी को नहीं देने का फैसला किया ताकि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले किसी पार्टी के साथ होने का दाग उस पर नहीं लगे. बसपा के सतीश मिश्र को 39 और अशोक सिद्धार्थ को 42 मत मिले.निर्दलीय प्रीति के मैदान में उतरने से ही मतदान की आवश्यकता पडी. भाजपा के 16, सपा के बागी और कुछ छोटे दलों के एवं निर्दलीय विधायक प्रीति के प्रस्तावक थे. प्रीति को प्रथम वरीयता के मात्र 18 वोट मिले और वह हार गयीं.

कर्नाटक में निर्मला सीतारमण व जयराम जीते

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस के जयराम रमेश, आस्कर फर्नांडिस तथा के सी राममूर्ति आज कर्नाटक से राज्यसभा की चार सीटों के लिए हुए चुनाव में विजयी रहे. चुनाव में जदएस के आठ विधायकों ने क्रास..वोटिंग की. असंतोष का सामना कर रहे जदएस को शर्मिंदगी का सामना करना पडा और उसके आठ विधायकों ने कांग्रेस के समर्थन में क्रास..वोटिंग की. कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व आईपीएस अधिकारी के सी राममूर्ति ने शानदार जीत हासिल की और उन्हें 52 मत मिले। इनमें निर्दलीय और जदएस के विद्रोही विधायकों के मत भी शामिल हैं.

कांग्रेस अपने 122 सदस्यों के साथ दो सीटों के लिए आश्वस्त थी. इन सीटों के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्रियों रमेश और फर्नांडिस को मैदान में उतारा गया था। अतिरिक्त 33 मतों के साथ पार्टी ने राममूर्ति को मैदान में उतारा था. जीत के लिए कुल 45 मतों की जरुरत थी. भाजपा के 44 सदस्य हैं और निर्मला को 46 मत मिले. जद एस के उम्मीदवार बी एम फारुक को 33 मत मिले जबकि पार्टी के 40 सदस्य हैं.

जदएस प्रवक्ता रमेश बाबू ने कहा, ‘‘आठ विधायकों ने आज राज्यसभा चुनाव में जदएस के खिलाफ एवं कांगे्रस के पक्ष में मतदान किया। कल पार्टी की बैठक है तथा हम पार्टी के संविधान के प्रावधानों के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.’ बाबू ने बताया कि क्रास वोटिंग करने वाले जदएस विधायकों में जमीर अहमद खान, चालूवराय स्वामी, इकबाल अंसारी, बालाकृष्णन, रमेश बंदीसिद्देगौडा, गोपालैया, भीमनायक एवं अखंड श्रीनिवास मूर्ति हैं. जदयू नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने असंतुष्टों को पार्टी के लिए ‘‘कैंसर’ करार दिया.

वोट डालने के बाद अंसतुष्ट विधायकों ने उनके निर्णय के पीछे के कारणों के लिए पार्टी नेताओं एच डी देवगौडा एवं कुमारस्वामी के रवैये को जिम्मेदार बताया. स्वामी ने कहा, ‘‘हममें से आठों ने व्हिप के खिलाफ वोट डाला. हमने इसे अपने पार्टी एजेंट को दिखाया. हमें विश्वास में लिये बिना निर्दलियों से समर्थन लेने की योजना के साथ हमारे उम्मीदवार को उतारा गया’ आठ विधायकों का पार्टी के खिलाफ वोट डालना जदएस के लिए धक्का साबित हुआ क्योंकि जमीर अहमद खान के नेतृत्व में केवल पांच के क्रास वोटिंग करने की उम्मीद की जा रही थी.

हरियाणा में जीते सुभाष चंद्रा

राज्यसभा चुनाव हरियाणा में मीडिया कारोबार सुभाष चंद्रा ने भाजपा के समर्थन से जीत हासिल की है. यहां निर्दलीय उम्मीदवार आर के आनंद को कांग्रेस तथा इनेलो का समर्थन प्राप्त था . भाजपा राज्य से केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह को उच्च सदन में पक्के तौर पर भेजने की खबरें हैं . यहां आनंद और भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के बीच मुकाबला है, लेकिन भाजपा को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस ने आनंद को अपने 17 विधायकों के समर्थन की घोषणा की थी , जिन्हें इनेलो के 19 और अकाली दल के इकलौते विधायक का भी समर्थन प्राप्त था . मीडिया कारोबारी चंद्रा को भाजपा के अतिरिक्त 16 वोट मिलना तो तय है, लेकिन इस मुकाबले में आनंद बढत लेते दिख रहे हैं.

हरियाणा में एक उम्मीदवार को राज्यसभा में पहुंचने के लिए 31 वोटों की जरुरत थी . मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस और भाजपा की टक्कर है जहां तीन सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. सत्तारुढ भाजपा के 164 वोट हैं और पार्टी के उम्मीदवारों एम जे अकबर एवं अनिल दवे का उच्च सदन में पहुंचना तय है. तीसरे उम्मीदवार विनोद गोतिया के लिए मुकाबला टक्कर वाला है जिन्हें कांग्रेस के विवेक तनखा से चुनौती मिलनी है. मध्य प्रदेश से किसी उम्मीदवार को राज्यसभा पहुंचने के लिए 58 सदस्यों के वोट चाहिए. बसपा के चार विधायकों के समर्थन के बाद कांग्रेस के विवेक तनखा का रास्ता आसान लगता है.

राजस्थान

राजस्थान में भी 24 विधायकों के साथ कांग्रेस ने निर्दलीय उम्मीदवार कमल मोरारका को समर्थन देकर मुकाबला रोचक था. यहां सभी 4 सीटों में भाजपा ने जीत हासिल की है. राजस्थान विधानसभा में 160 सदस्यों के साथ भाजपा को केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू, पार्टी उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर, पूर्व आरबीआई अधिकारी रामकुमार शर्मा और डूंगरपूर शाही खानदान के हर्षवर्धन सिंह को जीत मिल गयी है.

झारखंड

झारखंड की दो सीटों पर भाजपा ने कब्जा कर लिया है. इसमें मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार शामिल हैं. झामुमो के उम्मीदवार बसंत सोरेन के पूरे विपक्ष के समर्थन के बावजूद भी हार का मुंह देखना पड़ा. विरोधी दलों में क्रॉस वोटिंग की बात कही जा रही है.

उत्तराखंड

उत्तराखंड से राज्यसभा की सीट के लिए चुनाव से ठीक पहले चुनाव मैदान से हटने वाली भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार गीता ठाकुर ने भाजपा पर ‘‘दलित विरोधी मानसिकता’ से प्रभावित होने का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. ठाकुर ने कल एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की थी कि वह भाजपा समर्थित एक अन्य निर्दलीय उम्मीदवार अनिल गोयल के पक्ष में अपना नाम वापस ले रही हैं. ठाकुर ने देर रात पार्टी से इस्तीफे की घोषणा की.

ठाकुर ने भाजपा पर ‘‘महिला विरोधी और दलित विरोधी’ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी ने पहले उनका एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर समर्थन किया और उन्हें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय भट्ट सहित पार्टी के नौ विधायकों का समर्थन प्राप्त था. यद्यपि उन्हें बाद में मैदान से हटनेे के लिए बाध्य किया गया.

उन्होंने भाजपा पर मानसिक रुप से कष्ट देने का आरोप लगाया और कहा कि पहले उनकी उम्मीदें जगायी गईं और उसके बाद भाजपा की ‘‘पैसा और ब्रीफकेस राजनीति’ के चलते निर्दयता से धराशायी कर दी गईं.

ठाकुर ने ‘‘अपमान’ के लिए उत्तराखंड भाजपा प्रभारी श्याम जाजू और भाजपा के राष्ट्रीय संगठन सह सचिव शिवप्रकाश को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ ही सेंट्रल फिल्म सेंसर बोर्ड की सदस्यता और बेटी बचाओ बेटी पढाओ के ब्रांड अंबेसडर से भी तत्काल प्रभाव से हट रही हैं.

भाजपा को तब एक और झटका लगा जब भीमताल से उसके विधायक दान सिंह भंडारी ने विधानसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा कल रात विधानसभाध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजाल को सौंप दिया. उन्होंने कुंजाल से इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार करने का अनुरोध किया. उन्होंने इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया . कुंजाल से भंडारी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. भाजपा के मुख्य व्हिप मदन कशिक ने कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं कि भंडारी ने इस्तीफा क्यों दिया है.

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