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उत्तराखंड मामला : हाईकोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार पूछा- सरकार प्राइवेट पार्टी है क्या?

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नयी दिल्ली/देहरादून : उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट में लंबित है. इसी बीच गुरुवार को उत्तराखंड में सरकार के विवाद में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं हटा रहे हैं? एक सप्ताह के लिए उत्तराखंड […]

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नयी दिल्ली/देहरादून : उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट में लंबित है. इसी बीच गुरुवार को उत्तराखंड में सरकार के विवाद में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं हटा रहे हैं? एक सप्ताह के लिए उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं हटाते, सरकार प्राइवेट पार्टी है क्या?

आपको बता दें कि बुधवार को इसी कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रपति राजा नहीं हैं. वह भी गलत हो सकते हैं. उनके फैसले की भी कोर्ट समीक्षा कर सकता है. हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया था. राजग सरकार के इस तर्क पर कि राष्ट्रपति ने अपने ‘‘राजनैतिक विवेक ‘ के तहत संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत यह निर्णय किया, मुख्य न्यायाधीश के एम जोसफ और न्यायमूर्ति वी के बिष्ट की पीठ ने कल कहा कि लोगों से गलती हो सकती है, चाहे वह राष्ट्रपति हों या न्यायाधीश.’

बुधवार को अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष रखे गए तथ्यों के आधार पर किए गए उनके निर्णय की न्यायिक समीक्षा हो सकती है. केंद्र के यह कहने पर कि राष्ट्रपति के समक्ष रखे गए तथ्यों पर बनी उनकी समझ अदालत से जुदा हो सकती है, अदालत ने यह टिप्पणी की. सूत्रों की माने तो राष्ट्रपति पर कोर्ट की टिप्पणी को गृह मंत्रालय ने अनुचित माना है. इस टिप्पणी को निरस्त करने के लिए गृह मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना रही है.

गौरतलब है कि उत्तराखंड में पिछले महीने कांग्रेस के 9 विधायकों ने बगावत कर दी थी और भाजपा के साथ चले गए थे जिसके बाद बागी विधायक और भाजपा विधायक हरीश रावत सरकार से बहुमत परीक्षण कराने की मांग कर रहे थे. राष्ट्रपति ने जिस दिन राज्य में राष्ट्रपति शासन का आदेश सुनाया था उससे कुछ ही घंटे के अंदर विधानसभा स्पीकर ने 9 बागी कांग्रेस विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी.

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