मुसलमानों के उत्थान के लिए राष्ट्र के संसाधनों का उपयोग करने की जरुरत: जेटली
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अल्पसंख्यकों ‘खासकर मुसलमानों’ के उत्थान के लिए विकास की ऊंची दरों से हासिल होने वाले संसाधनों का इस्तेमाल करने की जरुरत है और सरकार सभी वर्गों के विकास में एकरुपता लाने पर काम कर रही है. वित्त मंत्री ने यहां राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) […]
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अल्पसंख्यकों ‘खासकर मुसलमानों’ के उत्थान के लिए विकास की ऊंची दरों से हासिल होने वाले संसाधनों का इस्तेमाल करने की जरुरत है और सरकार सभी वर्गों के विकास में एकरुपता लाने पर काम कर रही है. वित्त मंत्री ने यहां राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) द्वारा आयोजित एक व्याख्यान में यह भी कहा कि देश ने समय समय पर ‘नीति विचलन’ महसूस किया लेकिन उनकी अनदेखी करना और ‘सौहार्द्रपूर्ण’ तरीके से विकास की ओर बढना परिपक्वता होगी. उन्होंने विभिन्न समुदायों से संबंधित गरीबी के आंकडे की तरफ इशारा करते हुए कहा ‘अल्पसंख्यकों, कुछ निश्चित समूहों खासकर मुसलमानों तक राष्ट्रीय संसाधन के लाभ पहुंचाने की जरुरत है.’
जेटली ने कहा कि सरकार इस आधार पर काम कर रही है कि अल्पसंख्यकों सहित सभी वर्गों के लिए ‘एकरुपता से विकास करने की जरुरत है और वह जितना संभव हो उतनी एकरुपता लाने की कोशिश कर रही है.’ उन्होंने कहा, ‘हमारी नीति के विचलन में हमारी भी खासी भागीदारी है. हमारा क्रियाशील और तार्किक रुप से सक्रिय लोकतंत्र है. और इसलिए जहां प्रधान एजेंडा सबका कल्याण सुनिश्चित करना हो, विचलन होते हैं और उनमें से कई काफी अप्रिय विचलन भी होते हैं.’
वित्त मंत्री कहा कि ‘भारतीय समाज की परिपक्वता’ इन विचलनों की अनदेखी करने की क्षमता और हमें ऐसे रास्ते पर ले जाना होगी जहां हम ‘समाज में सौहार्द्रपूर्ण संबंध तथा एक ऐसी विकास प्रक्रिया सुनिश्चित कर सकें जिससे हम सबको लाभ हो.’ जेटली ने कहा, ‘इस तरह के नीति विचलन को दरकिनार करने में हम जिस हद तक परिपक्वता दिखाएंगे वहीं आखिर में उस माहौल का निर्धारण करेगा जो हम एक ज्यादा समृद्ध भारत के लिए बनाना चाहते हैं जहां समाज के हर हिस्से को उसका हक मिले.’
वित्त मंत्री ने साथ ही राजनीतिक स्थिरता के बाद भी चुनावी प्रदेश पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर सवाल करते हुए कहा कि हाल ही में जारी आंकडे संकेत देते हैं कि इस समुदाय का जीवन स्तर जरुरत के अनुरुप नहीं हैं. जेटली ने कहा कि राज्य ने जिस माडल का अनुसरण किया उसमें वृद्धि का स्तर इतना तेज नहीं था कि सभी तबकों का स्तर बढा सके और अल्पसंख्यकों की इस स्थिति का यह एक कारक हो सकता है.
उन्होंने कहा कि 1991 के बाद भारत में तेजी से प्रगति हुयी जिससे गरीबी में उल्लेखनीय कमी आयी. वित्त मंत्री ने सशक्तिकरण में आर्थिक प्रगति की भूमिका की चर्चा करते हुए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन द्वारा हाल ही में कोलकाता में जारी रिपोर्ट ‘पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जीवंत वास्तविकता ‘ का हवाला दिया. जेटली ने कहा कि रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि इस समुदाय का ‘जीवन स्तर बेहद नामुनासिब है.’
उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में ऐसा क्यों हैं जहां आजादी के बाद से ही राजनीतिक स्थिरता रही है और वहां अल्पसंख्यकों की खासी आबादी है जिसके बारे में आंकडे संकेत देते हैं कि उनका जीवन स्तर काफी पीछे है.’ जेटली ने कहा कि उनके मन में जो कारण आया उनमें से एक अर्थव्यवस्था की वृद्धि के संदर्भ में है, राज्य ने एक माडल का अनुसरण किया, जहां विकास का स्तर इतना तेज नहीं था और वह समझते हैं कि यह एक सवाल है जिस पर चर्चा होनी चाहिए.
जेटली ने कहा कि 1991 के बाद, जब अधिकतर हिस्सों में, आर्थिक स्थितियों में सुधार हुआ लेकिन पश्चिम बंगाल पर एक रिपोर्ट आयी जिसमें इस तरह के तथ्य हैं. जब विकास की दर उच्च होती है तो सभी तबकों को फायदा होता है हालांकि कुछ को अन्य की तुलना में ज्यादा लाभ होता है लेकिन सरकार पीछे छूट गए लोगों को ‘लक्षित सहायता’ मुहैया करा सकती है. सेन द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आर्थिक रूप से अन्य की तुलना में ज्यादा वंचित हैं.’
जेटली ने अपने संबोधन में कहा कि भारत एक ऐसे दौर से गुजर रहा है जहां विकास का स्तर बढा है लेकिन इसमें और वृद्धि की संभावना है. अल्पसंख्यकों और पिछडे तबकों को समर्थन मुहैया कराए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारे पास अधिक संसाधन होंगे, जहां खाइयां होंगी, उनका वहां उपयोग किया जा सकता है.’ आंकडों का हवाला देते हुए जेटली ने कहा कि विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों की स्थितियों में भी काफी विविधता है जो शैक्षणिक और आर्थिक दर्जा के बीच कडी को रेखांकित करता है.