नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस उपाध्‍यक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी जी ये जान लें कि माल्या के बाहर जाने और क्वात्रोच्चि के बाहर जाने में अंतर है. आपको बता दें कि आज राहुल गांधी ने माल्या मामले को लेकर सरकार पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि एक व्यक्ति 9000 करोड़ रुपये उठाकर भाग जाता है और सरकार कुछ नहीं कर सकी. इस मामले में जब सरकार से सवाल किया गया तो उनकी ओर से केवल लंबा बयान दिया गया हमारे प्रश्‍न का उत्तर नहीं दिया गया.

राहुल गांधी के इस प्रहार का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राहुल गांधी जी ये जान लें कि माल्या के बाहर जाने और क्वात्रोच्चि के बाहर जाने में अंतर है. बैंकों को हर कदम उठाने की छूट दी गई है. वे अपना पैसा वसूलने के लिए कोई भी कदम उठा सकते हैं. उन्होंने कहा कि यहां एक कानूनी व्यवस्था है. इस व्यवस्था के कारण किसी खास व्यक्ति को देश छोड़ने के से रोका नहीं जा सकता.


यूपीए सरकार माल्या पर मेहरबान

लोकसभा में आज कांग्रेस ने जाने माने उद्योगपति विजय माल्या द्वारा बैंकों से लिये गए भारी कर्ज को नहीं चुकाने का मुद्दा जोर-शोर से उठा. सरकार की ओर से मामले पर कहा गया कि माल्या को यह राशि साल 2004 से 2010 के दौरान मंजूर की गई जब केंद्र में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार थी. यूपीए सरकार उनपर मेहरबान थी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विजय माल्या द्वारा बैंकों से लिये गए कर्ज की राशि ब्याज सहित 13 नवंबर 2015 तक 9091.40 करोड रुपये हो गई थी. यह राशि उनसे वसूलने के लिए हर कदम उठाये जा रहे हैं. लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद आज कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने शून्यकाल में इस विषय को उठाया था और इसे बेहद गंभीर बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी. जेटली ने कहा कि खडगेजी और कुछ अन्य सदस्यों ने इस विषय को उठाया है जो काफी महत्वपूर्ण विषय है, उन्होंने कहा कि इसमें बुनियदी विषय और खातों का सवाल है. विजय माल्या को कसोर्शियम बैंक ने पहली मंजूरी सितंबर 2004 में की थी. इस सुविधा का फरवरी 2008 में नवीकरण किया गया।। 13 अप्रैल 2009 को खातों को गैर निष्पादित आस्तियां घोषित किा गया. जेटली ने कहा कि इसके बाद उन्हें दिये गये कर्ज का पुनर्गठन दिसंबर 2010 में किया गया. उन्हें प्रदान की गई कुल राशि 13 नवंबर 2015 तक सभी ब्याज सहित 9091.40 करोड रुपये हो गई थी.

माल्या कोई ‘सुई’ नहीं

राज्यसभा में आज बैठक शुरू होने पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा ‘‘इस सरकार पर मेरा आरोप है कि माल्या के खिलाफ चार-चार एजेंसियां (प्रवर्तन निदेशालय, सेबी, एसएफआईओ :गंभीर धोखाधडी जांच कार्यालय: और सीबीआई) जांच कर रही थीं तो उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया, उनका पासपोर्ट जब्त क्यों नहीं किया गया ?’ आजाद ने कहा कि हर व्यक्ति जानता था कि माल्या किसी भी दिन देश छोड कर भाग सकते हैं तो जांच एजेंसियों को उनका पासपोर्ट जब्त कर लेना चाहिए था और उन्हें जेल में डाल देना चाहिए था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि माल्या विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं और कई देशों में उनके ठिकाने हैं. फिर भी समय रहते कदम नहीं उठाए गए. उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले इसी सदन में आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी के देश छोड कर जाने का मुद्दा उठाया गया था और उन्हें तथा उनके कथित काले धन को वापस लाने की मांग की गई थी. वह वापस नहीं लौटै और लोग भूल भी गए. अब माल्या का मामला सामने है. उन्होंने कहा कि माल्या कोई ‘सुई’ नहीं हैं और पूरे लावलश्कर के साथ चलते हैं. ताज्जुब की बात यह है कि वह हवाईअड्डे पर किसी को नजर नहीं आए और किस तरह देश छोड कर चले गए जबकि सीबीआई ने उनके खिलाफ ‘‘लुक आउट नोटिस’ जारी किया है. उन्होंने कहा कि अटॉर्नी जनरल ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि माल्या के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया लेकिन वह देश से भाग गए.