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कांग्रेस आतंकवाद का इस्तेमाल वोट बैंक की राजनीति के तौर पर कर रही है : नायडू

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चेन्नई : केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कांग्रेस पर आतंकवाद का इस्तेमाल वोट बैंक की राजनीति के लिए करने का आरोप लगाया और संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर बयान देने के लिए कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की आलोचना की. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘क्या अफजल गुरु का कोई धर्म है? […]

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चेन्नई : केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कांग्रेस पर आतंकवाद का इस्तेमाल वोट बैंक की राजनीति के लिए करने का आरोप लगाया और संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर बयान देने के लिए कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की आलोचना की.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘क्या अफजल गुरु का कोई धर्म है? आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. वह आतंकवादी है. आतंकवादी आतंकवादी होता है. उसकी कोई भाषा, कोई धर्म नहीं होता. लेकिन दुर्भाग्य से अल्पसंख्यकों को वोट बैंक के तौर पर देखा जाता है. कांग्रेस आतंकवाद का इस्तेमाल भी वोट बैंक की राजनीति के लिए कर रही है.” उन्होंने कांग्रेस को निशाना बनाने के लिए इशरत जहां और बटला हाउस मुठभेड़ जैसे विवादों का भी जिक्र किया.
उन्होंने पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लै के बयान को उद्धृत किया कि इशरत जहां मामले के हलफनामे में विवादास्पद बदलाव ‘‘राजनीतिक स्तर” पर किया गया. नायडू ने कहा, ‘‘ये खुलासे संप्रग और कांग्रेस की गंदी राजनीति को स्पष्ट रुप से दर्शाते हैं कि अपने विरोधियों के खिलाफ राजनीतिक बदले के लिए वे राष्ट्रीय सुरक्षा से भी समझौता करने को तैयार हैं.”
उन्होंने कहा कि मुंबई विस्फोट मामले के आरोपी डेविड हेडली ने पुष्टि की कि इशरत जहां आतंकवादी थी और लश्कर ए तैयबा की वेबसाइट पर भी उसकी मौत पर मातम मनाया गया था. केंद्र की तरफ से पहले के एक हलफनामे में भी उसे आतंकवादी बताया गया था. बहरहाल इसके बाद के हलफनामे बदल दिए गए. उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने सीबीआई, आईबी का मनोबल तोड़ा.” इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने 2012 में कहा था कि बटला हाउस मुठभेड़ को लेकर सोनिया गांधी ‘‘काफी दुखी” थीं.
नायडू ने कहा, ‘‘(बटला हाउस मुठभेड़ के) चार वर्षों के बाद कांग्रेस ने चुनावों का लाभ लेना चाहा और सलमान खुर्शीद ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि मुठभेड़ को लेकर सोनिया गांधीजी काफी दुखी थीं.” नायडू ने कहा, ‘‘उसका इस्तेमाल सहानुभूति में करना अल्पसंख्यकों का अपमान है. अल्पसंख्यकों का उस मुठभेड़ या आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है.” उन्होंने कहा कि अब बारी पूर्व गृह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की है.
उन्होंने कहा, ‘‘उस वक्त शासन में रहे पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के सबसे प्रतिभावान व्यक्ति समझे जाने वाले चिदंबरम को (अफजल गुरु की फांसी को लेकर) उच्चतम न्यायालय के फैसले में खोट नजर आने लगी. वह मशहूर वकील हैं…. अफजल गुरु की फांसी पर उच्चतम न्यायालय के फैसले में खोट ढूंढ़ लिया.” उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री ने कह दिया कि ‘‘शायद अफजल गुरु की फांसी एक सही फैसला नहीं थी.” नायडू ने कहा कि सबको पता है कि उच्चतम न्यायालय सर्वोच्च अदालत है. लेकिन यहां तो कांग्रेस पार्टी में चिदंबरम की अगुवाई में एक और सुप्रीम कोर्ट है जो कहा है कि अफजल गुरु की फांसी एक सही फैसला नहीं थी.
जेएनयू में लगे कथित तौर पर देशविरोधी नारों का जिक्र करते हुए नायडू ने कहा, ‘‘वे कहते हैं कि अफजल गुरु के साथ न्याय नहीं हुआ, जैसे वह उनका गुरु हो. वे ऐसे लोगों के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं जो मकबूल भट जिंदाबाद जैसे नारे लगाते हैं. कोई व्यक्ति ऐसे लोगों के साथ एकजुटता कैसे दिखा सकता है और यही सवाल है.”
चिदंबरम ने 25 फरवरी को एक अंग्रेजी अखबार से कहा था, ‘‘कोई भी यह विचार व्यक्त कर सकता है कि मामले में सही निर्णय नहीं हुआ था और अफजल गुरु कहां तक संलिप्त था उसका सही आकलन नहीं हुआ.” अफजल की पत्नी तबस्सुम गुरु ने इस विचार को खारिज करते हुए कहा था कि यह बहुत देर से जाहिर किया गया और इसका उद्देश्य वोट बैंक की राजनीति है.
कांग्रेस ने चिदंबरम के बयान से दूरी रखते हुए कहा था कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय अंतिम था. चिदंबरम ने कहा था कि अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना है. इस पर नायडू ने कहा ‘‘क्या चिदंबरम खुद को अल्पसंख्यकों का मसीहा बता रहे हैं. चिदंबरम जी, यह वही कांग्रेस है जो खुद असुरक्षित महसूस कर रही है इसलिए देश का सामाजिक तानाबाना बिगाड कर अल्पसंख्यकों में मानसिक भय पैदा कर रही है.” नायडू ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का रुख हमेशा आतंकवादियों के प्रति नर्म और राष्ट्रवादियों के प्रति कठोर रहा है.
उन्होंने कहा ‘‘उन्होंने टाडा कानून खत्म किया. उन्होंने भिंडरावाले को प्रमाणपत्र दिया, प्रोत्साहित किया और बाद में उनकी निंदा की, उन्हें खलनायक बनाया और स्वर्ण मंदिर में सेना भेज दी.”

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