बजट सत्र को सुचारु रुप से चलाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन, पठानकोट आतंकी हमले और जेएनयू विवाद जैसे मुद्दों के विरोधी दलों द्वारा संसद में उठाए जाने की प्रबल संभावना के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से संपर्क किया है और कल प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है. इस कदम का मकसद अगले सप्ताह […]
नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन, पठानकोट आतंकी हमले और जेएनयू विवाद जैसे मुद्दों के विरोधी दलों द्वारा संसद में उठाए जाने की प्रबल संभावना के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से संपर्क किया है और कल प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है.
इस कदम का मकसद अगले सप्ताह आरंभ हो रहे बजट सत्र को सुचारु रुप से चलाना है क्योंकि बीते दो सत्रों का अधिकतर समय कई प्रमुख मुद्दों पर हुए हंगामे की भेंट चढ़ गया था. हाल के समय में यह इस तरह की पहली बैठक होगी जिसे प्रधानमंत्री ने बुलाई है जो विपक्ष के एक धड, खासकर कांग्रेस के निशाने पर रहे हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार टकराव की मुद्रा में है और वह दूसरे दलों को भरोसे में लेने में नाकाम रही है.
सरकार के प्रबंधक समय समय पर यह कहते आ रहे हैं कि तीन महीने तक चलने वाले बजट सत्र में जीएसटी विधेयक सरकार के एजेंडे में सर्वोपरि रहने वाला है. बजट सत्र 23 फरवरी से आरंभ हो रहा है. सरकार के सूत्रों का कहना है कि मोदी ने प्रमुख राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा के नेताओं की बैठक बुलाई है.
उनका कहना है कि यह सर्वदलीय बैठक नहीं है और इस सत्र में सरकार जिन विधेयकों को पेश करना चाहती है उन पर इस बैठक में चर्चा नहीं होगी. एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘‘वह (मोदी) दोनों सदनों को सुचारु रुप चलाने में सहयोग मांगेगे.”” यह बैठक उस वक्त बुलाई गई है जब हाल ही में प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया था कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला लेने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कई मौकों पर संसद को बाधित किया है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि जब कभी उनकी पार्टी गरीबों और आम आदमी से जुडे मुद्दों को उठाने की कोशिश की तो उसकी आवाज को दबाने के प्रयास किए गए. सरकार के वरिष्ठ मंत्री अक्सर यह आरोप लगाते रहे हैं कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ने जीएसटी को पारित कराने की योजनाओं को बाधित किया है. यह विधेयक राज्यसभा में लंबित है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह जीएसटी पर गतिरोध को खत्म करने के लिए कांग्रेस को गंभीरता से साथ नहीं ले रही है.