नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज उम्मीद जतायी कि विपक्षी दल ‘बात समझेंगे’ और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जल्दी ही एक हकीकत बनेगा. जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक राज्य सभा में अटका है जहां मौजूदा सरकार का बहुमत नहीं है. मंत्री ने यहां दो दिन के भारत निवेश सम्मेलन का उद्घाटन […]
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज उम्मीद जतायी कि विपक्षी दल ‘बात समझेंगे’ और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जल्दी ही एक हकीकत बनेगा. जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक राज्य सभा में अटका है जहां मौजूदा सरकार का बहुमत नहीं है.
मंत्री ने यहां दो दिन के भारत निवेश सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘ ज्यादातर राजनीतिक दल जीएसटी का समर्थन कर रहे हैं और मुझे भरोसा है कि बाकी दलों को भी ‘बात समझ में आयेगी’ और यह कानून जल्दी ही वास्तविकता बनेगा.’ वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार प्रत्यक्ष कराधान प्रणाली को भी दुरस्त करने में लगी है.
जेटली ने कहा, ‘‘हम अपनी प्रत्यक्ष कर प्रणाली को तर्कसंगत बनाना चाहते हैं ताकि इसे वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी प्रणाली बनाया जो अन्य प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं में है.’ उन्होंने कहा कि सुधार निरंतर प्रक्रिया है और इसमें कोई विराम बिंदु नहीं होता है क्योंकि समय के साथ नई चुनौतियां आती है और यह प्रक्रिया बराबर चलती रहती है.
जीएसटी में उत्पाद शुल्क, सेवा शुल्क और बिक्री समेत सभी अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जायेंगे. सरकार इसे पहली अप्रैल, 2016 से लागू करना चाहती है. यह विधेयक राज्य सभा में अटका है क्योंकि कांग्रेस इसमें कुछ ऐसे बदलाव चाहती है जिनको लेकर गहरे मतभेद हैं. इनमें से एक मांग जीएसटी की पर संविधान संशोधन में ही अधिकतम सीमा लगाने की मांग भी है.
कांग्रेस पार्टी वस्तुओं की अंतरराज्यीय आवाजाही पर एक प्रतिशत कर के प्रस्ताव को हटाने और अंतरराज्यीय विवाद निपटान के लिए न्यायिक समिति के गठन का प्रावधान की मांग कर रही है. संसद का बजट अधिवेशन 23 फरवरी को शुरू होने जा रहा है.