आतंकियों की खैर नहीं, भारत-पाक सीमा पर खडी की जाएंगी लेजर की दीवारें
नयी दिल्ली : भारत-पाक सीमा पर जल्द ही 40 से अधिक संवेदनशील जगहों पर लेजर दीवारें खडी की जाएंगी, ताकि आतंकवादियों की किसी भी घुसपैठ को रोका जा सके. इन जगहों पर बाडबंदी नहीं है. पठानकोट हमले के मद्देनजर गृह मंत्रालय लेजर दीवारें खडी किए जाने को शीर्ष प्राथमिकता दे रहा है.गृह मंत्रालय के एक […]
नयी दिल्ली : भारत-पाक सीमा पर जल्द ही 40 से अधिक संवेदनशील जगहों पर लेजर दीवारें खडी की जाएंगी, ताकि आतंकवादियों की किसी भी घुसपैठ को रोका जा सके. इन जगहों पर बाडबंदी नहीं है. पठानकोट हमले के मद्देनजर गृह मंत्रालय लेजर दीवारें खडी किए जाने को शीर्ष प्राथमिकता दे रहा है.गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों की घुसपैठ के जोखिम को पूरी तरह खत्म करने के लिए पंजाब स्थित ये सभी नदी पट्टियां सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) द्वारा विकसित लेजर वॉल प्रौद्योगिकी से लैस की जाएंगी.
लेजर वॉल एक ऐसा तंत्र है जो लेजर स्रोत और डिटेक्टर के बीच ‘लाइन ऑफ साइट’ या दृष्टिरेखा से गुजरती चीजों का पता लगा सकता है. फिलहाल लगभग 40 संवेदनशील क्षेत्रों में से केवल पांच-छह ही लेजर दीवारों से लैस हैं. नदी पर लगाई जाने वाली लेजर बीम उल्लंघन की स्थिति में एक जोरदार साइरन बजाती है.बामियाल में उज नदी का संदिग्ध घुसपैठ इलाका लेजर वॉल से लैस नहीं था. जैश ए मोहम्मद के छह आतंकवादियों ने इसी जगह से घुसपैठ की थी और फिर पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हमला किया था.
वह कैमरा खराब पाया गया था जो 130 मीटर चौडी नदी तलहटी पर नजर रखने के लिए लगाया गया था. उसमें फुटेज रिकॉर्ड नहीं हो रही थी. बीएसएफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नौ जनवरी को पठानकोट वायुसेना स्टेशन के दौरे से पहले इस पट्टी को पिछले हफ्ते लेजर दीवार से लैस कर दिया था. सीमा प्रहरी बल ने पिछले साल जम्मू सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के उन नदी क्षेत्रों में लेजर दीवार लगाना शुरु कर दिया था जहां बाडबंदी नहीं है. यह क्षेत्र पिछले साल जुलाई में पंजाब के गुरदासपुर में तीन आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले तक आतंकी घुसपैठ के दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील था.
माना जाता है कि आतंकवादियों ने ताश सीमा चौकी के पास से भारत में प्रवेश किया. यह ऐसा नदी बिन्दु है जो लेजर दीवार से लैस नहीं था. बामियाल में नदी के किनारे बीएसएफ की चौकियां हैं जहां से सुरक्षाकर्मी हर समय नदी पर नजर रखते हैं. क्षेत्र हाई मास्ट लाइटों से भी प्रकाशित रहता है. ऐसी संभावना है कि जैश ए मोहम्मद के छह आतंकवादियों ने रात के समय नदी की शुष्क तलहटी से प्रवेश किया होगा और बीएसएफ के कर्मियों की नजर से वे बच गए. अधिकारियों ने कहा कि बामियाल को मादक पदार्थों की तस्करी का मार्ग नहीं माना जाता क्योंकि पिछले तीन-चार वर्षों में यहां कोई मादक पदार्थ जब्त नहीं हुआ है. बीएसएफ ने पंजाब में पहले ही अतिरिक्त कर्मी तैनात कर दिए हैं और खासकर रात के दौरान नौका गश्त बढा दी गई है.