18.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

जेटली ने हिटलर की आड़ में कांग्रेस पर साधा निशाना

Advertisement

नयीदिल्ली : असहिष्णुता के मुद्दे पर घिरी सरकार ने 1930 में जर्मनी में हिटलर की गतिविधियों की मिसाल देते हुए कांग्रेस पर संविधान को कमजोर कर आपातकाल लागू करने के लिएशुक्रवारको निशाना साधा और कहा कि तानाशाही का वह सर्वाधिक बुरा दौर था, जब जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार तक निलंबित कर दिया गया था. […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयीदिल्ली : असहिष्णुता के मुद्दे पर घिरी सरकार ने 1930 में जर्मनी में हिटलर की गतिविधियों की मिसाल देते हुए कांग्रेस पर संविधान को कमजोर कर आपातकाल लागू करने के लिएशुक्रवारको निशाना साधा और कहा कि तानाशाही का वह सर्वाधिक बुरा दौर था, जब जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार तक निलंबित कर दिया गया था.

- Advertisement -

राज्यसभा में संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की 125 वीं जयंती के आयोजन के तहत भारत के संविधान के लिए प्रतिबद्धता पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सदन के नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि संविधान को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोकतंत्र को फिर से कमजोर न किया जाए. जेटली ने हिटलर के शासनकाल में हुए घटनाक्रम का जिक्र करते हुए इंदिरा गांधी द्वारा 1975 मेंं लगाए गये आपातकाल का सीधा उल्लेख किए बिना यह कहने का प्रयास किया भारत में इसका दोहराव किया गया.

असहिष्णुता के मुद्दे पर सरकार की हो रही आलोचना का जवाब देते हुए उन्होंने कहा इतिहास में सबसे ज्यादा दुखद बात संविधान को नष्ट करने के लिए संवैधानिक व्यवस्था का दुरुपयोग किया जाना है. इसका जीता जागता उदाहरण दुनिया ने 1933 में देखा जब जर्मनी में आपातकाल लागू किया गया. जेटली ने कहा कि हिटलर ने जर्मन की संसद को आग लगाकर फूंक देने की आशंका जताकर आपातकाल लागू कर दिया, संविधान संशोधन के लिए बहुमत जुटाने की खातिर विपक्षी नेताओं को हिरासत में ले लिया और प्रेस पर सेंसरशिप लगाने के बाद अपना 25 सूत्रीय आर्थिक कार्यक्रम पेश कर दिया.

वित्त मंत्री कहा कि आप आपातकाल लगाते हैं, विपक्षी नेताओं को हिरासत में लेते हैं, संविधान में संशोधन करते हैं, प्रेस पर सेंसरशिप लगाते हैं और फिर 25 सूत्रीय आर्थिक कार्यक्रम की घोषणा करते हैं. इसके बाद आप एक कानून लाते हैं कि सरकार के किसी कदम को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. और फिर हिटलर के तत्कालीन सलाहकार रुडोल्फ हेज ने इस वाक्य के साथ अपने भाषण का अंत किया कि एडोल्फ हिटलर जर्मनी है और जर्मनी एडोल्फ हिटलर है.

जेटली ने कहा कि वह 1933 के घटनाक्रम की महज मिसाल दे रहे थे. लेकिन उनका सीधा संकेत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान उठाये गये कदमों की तरफ था जब कहा जाता था कि इंदिरा ही भारत हैं, भारत ही इंदिरा हैं. वित्त मंत्री ने कांग्रेस के सदस्यों की टोकाटोकी के बीच व्यंग्य किया, इसके बाद दुनिया के अन्य हिस्सों में जो कुछ हुआ, उस पर जर्मनी ने कभी कॉपीराइट का दावा नहीं किया. जेटली ने कहा हमने आपातकाल के दौरान जो सबसे बड़ी चुनौती का सामना किया वह था अनुच्छेद 21 को निलंबित किया जाना तथा नागरिकों से जीवन तथा स्वतंत्रता के अधिकार वापस लिया जाना था. यह तानाशाही का सर्वाधिक बुरा स्वरुप था.

वित्त मंत्री के इस कथन पर कांग्रेस के सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह से तुलना नहीं की जा सकती. तब जेटली ने कहा कि सचमुच, कोई तुलना नहीं है. यह चूहे और उसके बिल के बीच अंतर है. भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि संविधान की मूल ताकत वे मौलिक अधिकार हैं जो संविधान निर्माताओं ने हमें दिए. लेकिन संविधान में यह भी कहा गया कि संकट के समय मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है. इस व्यवस्था की देश ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई जब 1970 के दशक में इन्हें निलंबित कर दिया गया. इसके बाद 1977 में तत्कालीन मोरारजी देसाई सरकार ने संविधान संशोधन कर अनुच्छेद 21 को स्थायी रुप से निलंबन योग्य नहीं बनाया.

जेटली ने कहा कि आपातकाल के बाद संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 21 को स्थायी रुप से निलंबन करने योग्य नहीं बना दिया गया और इसलिए आज हम कहीं ज्यादा सुरक्षित हैं. जेटली सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी हैं. उन्होंने कहा कि हमें ऐसे सभी तंत्रों को बाधित कर देना चाहिए जिनके जरिये संविधान या संविधानिक प्रणालियों का उपयोग लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए किया जा सकता हो. हमें लोकतंत्र के प्रत्येक संस्थान को मजबूत करने के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए.

हाल के दिनों असहिष्णुता के मुद्दे पर सरकार को निशाना बनाए जाने के संदर्भ विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए जेटली ने सवाल किया कि अगर बाबा साहेब अंबेडकर 1949 में दिया गया अपना भाषण अनुच्छेद 44 और अनुच्छेद 48 के कार्यान्वयन के लिए आज देते तो सदन की प्रतिक्रिया क्या होती. अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता बनाने का और अनुच्छेद 48 में गौवध पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया गया है. संविधान को सर्वोपरि बताते हुए जेटली ने कहा कि यह जाति, धर्म, मजहब हर बात से उपर है.

आतंकवाद को आज समूचे विश्व में संवैधानिक व्यवस्था के सामने बडी चुनौती बताते हुए जेटली ने कहा कि इस मुद्दे पर वोट की राजनीति के चलते अलग अलग स्वर नहीं होने चाहिए. उन्होंने आतंकवाद के साझा शत्रु से लड़ने के लिए एकजुटता का आह्वान करते हुए कहा कि इस वैश्विक खतरे के सामने नर्म रुख कतई नहीं होना चाहिए. उन्होंने संसद हमलों, मुंबई बम विस्फोट और ट्रेन हमलों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ट्रेनों में श्रृंखलाबद्ध विस्फोट उस समय हुए जब आरोपियों को सजा दी जा रही थी. मुंबई में नरसंहार करने वाले को शहीद कहा गया. जरा सोचिये कि अगर डॉ अंबेडकर होते तो वह इस पर क्या प्रतिक्रिया देते.

डॉ अंबेडकर ने 25 नवंबर 1949 को संविधान का दस्तावेज पेश करते समय जो भाषण दिया था उसका जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि संविधान निर्माता ने देश के भविष्य को लेकर चिंता जताते हुए कहा था कि क्या भारत आने वाले समय में अपनी स्वतंत्रता बरकरार रख सकेगा.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें